कविता

तलाश

खुशी कहाँ ,
हम तो गम चाहते हैं ,
खुशी उन्हें दे दो ,
जिन्हें हम चाहते हैं ,
मेरे शब्दों के दीवाने तो बहुत हैं ,
तलाश है ख़ामोशी पढ़ने वाले की ,
वादा नहीं है मेरा लेकिन ,
भरोसा है तुझ पर ,
“मेरा रब”
साथ दूंगी जिंदगी भर ,
यकीन कर ले मुझ पर ,
अपनी मर्जी से मरा तो जा सकता हैं ,
पर मुश्किल तो जीना है अपने मर्जी से ,
बारिश तो होना ही था ,
क्योंकि हवाओं को अपना दुख जो सुनाया था ।
— नीलू कानू प्रसाद

नीलू कानू प्रसाद

उदलाबारी , बंगाल