बच्चों में संस्कारों का बीजारोपण अवश्य करें
संस्कार वह क्रिया है जिसके संपन्न होने पर कोई भी योग्य बन जाता है । जिस प्रकार एक पौधे को खाद -पानी की अति आवश्यकता होती है, ठीक वैसे ही एक बच्चे के लिए संस्कारों की अति आवश्यकता होती है । भारतीय संस्कृति में संस्कारों पर बहुत अधिक बल दिया गया है । मनुष्य के सर्वांगीण विकास के लिए संस्कारों का होना अति आवश्यक है ।
बच्चों में अच्छे संस्कारों का बीजारोपण शुरू से ही कर देना चाहिए । बच्चों को मोबाइल, टेलीविजन की लत न लगने दें । उन्हें चारदीवारी से बाहर निकाल, खेलने- कूदने, व्यायाम आदि करने की आजादी दें । शहरी जीवनशैली स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती है, इसीलिए उन्हें पार्क आदि में घूमने दें । बच्चों को फास्ट फूड की लत न लगने दें । फास्ट फूड जैसे – चिप्स, बिस्कुट, चॉकलेट, चाऊमीन, मोमोज, नूडल्स,पास्ता, केक, कुकीज, बर्गर- पिज़्ज़ा आदि ।
बच्चों में स्वस्थ खानपान की आदत विकसित करें । घर पर ही भिन्न-भिन्न व्यंजनों को बनाएं और खिलाएं । घर का खाना संतुलित व पौष्टिक होता है । यह तो रही खानपान की बात । अब बात करते हैं अभिवावकों के संबंध में । बच्चे अपने माता-पिता को देखकर ही सब कुछ सीखते हैं, जैसी आदतें, तौर-तरीके, बोलचाल इत्यादि मां-बाप के होते हैं ठीक बच्चे भी वही सीख जाते हैं । माता पिता जैसा अच्छा-बुरा व्यवहार – कार्य करते हैं, ठीक बच्चे भी वैसा ही अनुकरण करते हैं, इसलिए माता-पिता को अपने व्यवहार में परिवर्तन करके अच्छा बनना चाहिए ।
बच्चों में निम्न संस्कार देना अभिभावक कभी न भूलें-
1. सहनशक्ति,
2. ईश्वर में आस्था,
3. माता-पिता, गुरुजनों का सम्मान करना,
4. सत्य निष्ठा और ईमानदारी,
5. सहयोग की भावना,
6. कर्तव्य निष्ठा की भावना,
7. प्रेम की भावना,
8. उज्ज्वल चरित्र,
9. राष्ट्र के प्रति सम्मान,
10. अपने से बड़ों का सम्मान करना आदि।
हमें यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए । बच्चा जन्म लेता है तभी से वह सीखना आरंभ कर देता है । परिवार ही बच्चे की सर्व प्रथम पाठशाला है और मां उसकी गुरु । अगर माता-पिता एक अच्छे इंसान हैं तो निश्चित ही उनकी संतान भी एक दिन संस्कारी ही बनेगी शर्त बस एक ही है बच्चों को बुरी संगत से बचाये रखें । अच्छे संस्कार ही एक अच्छा इंसान बनाते हैं । बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए संस्कारों पर बल अवश्य दें ।
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा