उसकी उम्र बढ़ गई
गर्मी के दिनों में छत पर सोया था। सपने में देखा कि गर्मियों की छुट्टियों में श्यामलाल के यहाँ उनकी साली आई । श्यामलाल की पत्नी की आवाज बहुत ही सुरीली थी। वो अपनी नन्ही सी बेटी को अक्सर लोरी गाकर सुलाती थी। पहले जब वो लोरी गा रही थी। तब श्यामलाल की सालीजी ने उस लोरी को रिकार्ड कर वीडियो बना लिया सोचा दीदी इतना अच्छा गाती है । मै घर जाकर माँ को दिखाउंगी। सपने में आगे देखा कि सालीजी कुछ दिनों बाद घर चली गईं ।कुछ दिनों बाद श्यामलाल की पत्नी को गंभीर बीमारी ने जकड़ लिया।काफी इलाज करने के उपरांत वह बच नहीं पाईं। उनका देहांत हो गया । पत्नी की मृत्यु का गम और इधर नन्ही बच्ची को सँभालने की चिंता।जब रात होती बच्ची माँ को घर में नहीं पाकर रोने लगती ,हालांकि वो अभी एक साल की ही थी।कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर क्या किया जाए।सालीजी आईं तो उसने लोरी वाला वीडियो जब बच्ची को दिखाया तो बच्ची इतनी खुश हुई और उसके मुँह से अचानक “माँ “शब्द निकला और उसके दोनों हाथ माँ की और उठे मानो कह रहे थे -माँ ,मुझे अपने आँचल में ले लो, तभी टीवी पर दूर गाना बजता हुआ सुनाई दिया… “माँ मुझे अपनेआँचल में छुपा ले गले से लगा ले कि और मेरा कोई नहीं ।”
उस समय के हालत से सभी घर के सदस्यों की आँखों में अश्रु की धारा बहने लगी । ममत्व और भावना की परिभाषा क्या होती है किसी को समझाना नहीं पड़ा । तभी श्यामलाल की आवाज कानो में सुनाई दी – “भाई रामलाल आज क्या बात है बड़ी देर तक सोये हो। भाई आज कौन सा सपना देखा।” क्योंकि रामलाल रोज कोई न कोई सपना घटना भरी दास्ताँ के साथ आता और उसे सुबह सैर के वक्त वो अपने मित्र को सुनाता , उसने कहा – “भाई आज तेरा ही सपना आया उसमें देखा कि भाभीजी इस दुनिया में नहीं रही । बच्ची की चिंता और भाभीजी के बिना तू कैसे जियेगा । भविष्य में आगे की चिंता ,सपने में यही सोच रहा था कि इतने में तेरी आवाज ने सपना तोड़ दिया।श्यामलाल ने कहा की यदि सपने में मरने का दिखे तो समझना चाहिए कि उसकी उम्र बढ गई।
— संजय वर्मा “दृष्टि”