चिंताजनक है डेंगू का बढ़ता प्रकोप
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के प्रकोप से हम अभी तक उबरे भी नहीं हैं और विशेषज्ञ कोरोना की तीसरी लहर के खतरे को लेकर भी बार-बार चेता रहे हैं, ऐसे विकट दौर में डेंगू ने जो कोहराम मचाना शुरू किया है, उससे चिंता बढ़ने लगी है। इन दिनों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान सहित देश के कई राज्यों के अनेक इलाके डेंगू और वायरल बुखार के कोप से त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। डेंगू के एक नए प्रतिरूप ने तो स्वास्थ्य तंत्र के समक्ष एक नई और गंभीर चुनौती खड़ी कर दी है। डेंगू नामक बीमारी कितनी भयावह हो सकती है, उसका अनुमान इसी पहलू से आसानी से लगाया जा सकता है कि समय से उपचार नहीं मिलने के कारण डेंगू पीडि़त व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। बीते दिनों देश के विभिन्न राज्यों और विशेषकर उत्तर प्रदेश में डेंगू से पीडि़त हुए कई मरीजों की मौत के आंकड़े इसकी पुष्टि भी करते हैं।
वैसे देश में इस समय डेंगू का जो प्रकोप देखा जा रहा है, ऐसा कोई पहली बार नहीं हो रहा है बल्कि प्रतिवर्ष मानूसन के दौरान और उसकी विदाई के बीच डेंगू और मच्छर जनित बीमारियों का बोलबाला बहुत ही सामान्य सी बात है। इसके बावजूद हर साल की वही कहानी और डेंगू के कारण होती सैंकड़ों मौतों के आंकड़े शासन-प्रशासन से लेकर सामुदायिक स्तर पर होती लापरवाही को ही स्पष्ट परिलक्षित करते रहे हैं। वैसे तमाम दूसरी बीमारियों की ही तरह डेंगू से बचाव का भी सबसे आसान और कारगर उपाय यही है कि उसकी चपेट में ही न आया जाए और इसके लिए अपेक्षित सावधानियां बरती जाएं। चूंकि डेंगू मच्छरों के कारण फैलता है और मच्छर प्रायः गंदगी और ठहरे हुए पानी में पनपते हैं, इसलिए सबसे जरूरी तो यही है कि डेंगू से बचने के लिए अपने आसपास स्वच्छता का पर्याप्त ध्यान रखा जाए। फिर भी यदि कोई व्यक्ति इस बीमारी की जद में आ जाए तो उसे बिना देर किए अपना उपचार शुरू कर देना चाहिए।
यदि समय से सही इलाज नहीं मिले तो डेंगू अमूमन चार-पांच दिनों में ही गंभीर रूप धारण कर लेता है। हालांकि कई बार कुछ मरीजों में यह देखने को भी मिलता है कि डेंगू से पीडि़त व्यक्ति को बुखार आना बंद हो जाता है और ऐसी स्थिति में मरीज और उसके परिजनों को यही लगता है कि मरीज डेंगू से उबर गया है लेकिन ऐसे अधिकांश मामलों में लापरवाही मरीज की जान पर भारी पड़ जाती है। किसी भी व्यक्ति में डेंगू के शुरूआती लक्षण उभरने के बाद ऐसी विकट परिस्थितियों से सामना न हो, उसके लिए जरूरी है कि लोगों को डेंगू से बचाव के लिए जागरूक करने पर विशेष जोर दिया जाए। दरअसल जानलेवा डेंगू से बचने के लिए सावधानियां और सतर्कता बरता जाना बेहद जरूरी है। डेंगू हो या मच्छर जनित अन्य बीमारियां, उनसे बचने के लिए अपने आसपास के स्थान की समुचित साफ-सफाई करने को अपनी आदतों का हिस्सा बना लेना अत्यंत आवश्यक है। दरअसल अमूमन देखा जाता है कि लोग अपने घरों की साफ-सफाई तो कर लेते हैं किन्तु अपने आस-पड़ोस की उन्हें कोई फिक्र नहीं होती। इस स्तर पर बरती जाने वाली लापरवाही प्रायः बहुत भारी पड़ती है।
अगर किसी व्यक्ति को डेंगू हो भी जाए तो सबसे जरूरी है उसकी डाइट पर विशेष ध्यान दिया जाए और उसके इम्यून सिस्टम को सही रखने का भी प्रयास किया जाए। डेंगू के मरीज को संतुलित और पौष्टिक आहार ही दिया जाना चाहिए। डेंगू के उपचार में बहुत से लोग घरेलू नुस्खों का भी सहारा लेते हैं और इन नुस्खों में तुलसी का उपयोग बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसके अलावा डेंगू हो जाने पर घरेलू नुस्खों में नारियल पानी एक अच्छा विकल्प है, जिसे शरीर में रक्त कोशिकाओं की कमी को पूरा करने में मददगार माना जाता है। दरअसल नारियल पानी में काफी मात्रा में इलैक्ट्रोलाइट्स के अलावा बहुत सारे खनिज पदार्थ भी होते हैं। डेंगू के उपचार में विटामिन सी से भरपूर वस्तुओं का उपयोग भी बहुत लाभकारी माना गया है, जो शरीर के रोग प्रतिरोधी तंत्र को मजबूत बनाए रखती हैं। इसलिए डेंगू हो जाने पर विटामिन सी से भरपूर फलों का सेवन करना लाभकारी है। बहरहाल, अगर इसके बावजूद मरीज की स्थिति में कोई सुधार नजर नहीं आए या परेशानियां बढ़ती दिखें तो तुरंत अपने चिकित्सक या नजदीकी अस्पताल से सम्पर्क करना चाहिए क्योंकि डेंगू के इलाज में लापरवाही मरीज की जिंदगी पर बहुत भारी पड़ सकती है।
— श्वेता गोयल