कवितापद्य साहित्य

हुनर को मिली पहचान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का जन्मदिन महिला काव्य मंच दिल्ली में उत्साह पूर्वक संपन्न हुआ। एक से बढ़कर एक रचनाएँ प्रस्तुत कीं गईं। उ०पू०दिल्ली की उपाध्यक्ष होने के नाते हमने भी अपनी स्वरचित रचना प्रस्तुत की। तो पढ़िए हमारी रचना…

 

हुनर को मिली पहचान

मामूली घर में जन्म लिया,
जैसे कमल खिलता कीचड़ में,
पर! पहचान बनाता सबसे आगे,
वैसे ही पहचान मिली हुनर को।

स्वच्छता से किया शुद्ध वातावरण,
सफाई अभियान चलाया है,
सब कुछ समानुपात बनाने वो इस दुनिया में आया है,
ऐसे ही पहचान मिली फिर हुनर को।

बेरोजगारी मिटाने पर है पूरजोर,
सबको समान बनाने की है तैयारी,
सुख संपन्नता की कमी न हो चहुं ओर,
ऐसी अलख जगाने हुनर की है तैयारी।

आत्मनिर्भर भारत बनाने का सपना लिए,
चल पड़ा जो कमल का फूल है,
अधरों पर हैं सत्य विचार, जनमन के कष्टों को हरता,
पहचान दिलाता हुनर को है जो।

भारत का बढ़ाया है जिसने मान विश्व में,
मुख पर भानु किरणें रहती हैं शोभायमान,
अपने गुणों के प्रकाश तले अंधकार मिटाया है,
कर्मों से पहचान मिली फिर हुनर को।

भारत की आत्मा बन, नरों में इंद्रेश बन,
जन सेवा ही अपना धर्म मान,
जिसने भारत से अज्ञानता का अंधकार मिटाया है,
ऐसे ही पहचान मिली फिर हुनर को।

भ्रूण हत्या खत्म करने की अलख जगा,
कन्याओं को सुरक्षा कवच पहनाया है,
हमें स्त्री बनने पर गर्व करना सिखाया है,
एक बार फिर पहचान मिली हुनर को।

भारत को महकाने, अंधकार मिटाने,
समानुपात दिलाने जो फूल कमल का है आया,
वह कोई और नहीं वे हमारे प्रधानमंत्री हैं,
नाम उनका है नरेन्द्र मोदी जी।

जय हिंद जय भारत

मौलिक रचना
नूतन गर्ग (दिल्ली)

*नूतन गर्ग

दिल्ली निवासी एक मध्यम वर्गीय परिवार से। शिक्षा एम ०ए ,बी०एड०: प्रथम श्रेणी में, लेखन का शौक