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हैप्पी डॉटर्स डे

सुबह सुषमा ने अपने व्हाट्स अप पर डॉटर्स डे पर फोटो अपलोड की। अभी उसने फोटो अपलोड की ही थी कि उसकी बेस्ट फ्रेंड निशा का कॉल आया ।

सुषमा- हैलो निशा कैसी है?

निशा-  हाय, मै ठीक हूं( उसकी आवाज में थोडी चिंता के स्वर सम्मिलित थे)| मैने तेरी डीपी देखी, सोचा इससे पहले और लोग देखे, मै तुझे बता दूं कि आज  तो डॉटर्स डे है, संस डे नही जो तूने यथार्थ के साथ अपनी फोटो लगाई  और फेस बुक पर भी तूने यही फोटो अभी पोस्ट की, और मैसेज में लिखा हैप्पी डॉटर्स डे।

इसका क्या मतलब हुआ?

लोग हंसेंगें कि तूने डॉटर्स डे पर बेटे के साथ फोटो शेयर की है।

सुषमा- ओह मेरी प्यारी सखी, मै जानती हूं तू मेरे लिये कितना सोचती है और मै  ये भी जानती हूं कि आज डॉटर्स डे है, संस डे नही।

निशा – फिर तूने हैप्पी डॉटर्स डे मैसेज के साथ अपनी और यथार्थ की फोटो क्यूं लगाई?

सुषमा – चल एक बात बता मुझे, क्या परी को तू कभी बेटा नहीं कहती।

निशाँ -हां  कहती हूं, मगर तू कहना क्या चाहती है?

सुषमा – कुछ नहीं , बस यही कि जब हम लोग बेटियों को प्यार से बेटा कहते नही थकते, या जब हम लोगों को ये बताना होता है कि हम बेटे बेटी में कोई फर्क नही करते तब तो हम बडे गर्व से कहते हैं कि ये तो मेरा बेटा है। या जब हमे लगता है कि हमारी बेटी समाज में हर वो काम करने में सक्षम है जो कल तक केवल बेटे करते थे।

तो क्या गलत हो गया जो मै अपने बेटे को अपनी बेटी की तरह भी देखती हूं, मेरे यथार्थ ने कभी मुझे यह अहसास नही होने दिया कि मेरे साथ एक सहेली की तरह दुख सुख बांटने वाली बेटी नही। वो वैसे ही रसोई में मेरा हाथ बंटाता है जैसे बेटियां हाथ बंटाती है। वो वैसे ही मेरे साथ वैसे ही शॉपिंग करता है जैसे बेटियां करती है। तो क्या हुआ अगर मै अपने बेटे में अपनी बेटी भी देखती हूं।

और हां मेरी प्यारी सखी, ये फोटो मैने किसी के लाइक, कमेंट्स के लिये नही अपलोड की, ये तो सिर्फ मेरी बेटी के लिये है। हां परी को मेरी तरफ से हैप्पी डॉटर्स डे बोलना। और जान ले  मै संस डे पर परी को भी विश करूंगी कह कर सुषमा हल्का सा मुस्कुरा दी।

निशा- सुषमा तू सच में हमेशा से अलग थी, मुझे फक्र है कि तू मेरी दोस्त है।  यथार्थ को मेरी तरफ से भी हैप्पी डॉटर्स डे।

डॉ. अपर्णा त्रिपाठी

मैं मोती लाल नेहरू ,नेशनल इंस्टीटयूट आफ टेकनालाजी से कम्प्यूटर साइंस मे शोध कार्य के पश्चात इंजीनियरिंग कालेज में संगणक विज्ञान विभाग में कार्यरत हूँ ।हिन्दी साहित्य पढना और लिखना मेरा शौक है। पिछले कुछ वर्षों में कई संकलनों में रचानायें प्रकाशित हो चुकी हैं, समय समय पर अखबारों में भी प्रकाशन होता रहता है। २०१० से पलाश नाम से ब्लाग लिख रही हूँ प्रकाशित कृतियां : सारांश समय का स्रूजन सागर भार -२, जीवन हस्ताक्षर एवं काव्य सुगन्ध ( सभी साझा संकलन), पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित रचनायें ई.मेल : [email protected] ब्लाग : www.aprnatripathi.blogspot.com