अपनी कोशिश करते रहो
काम बने या बिगड़े, तुम कोशिश करते जाना।
बढ़ते रहें जो कदम तेरे, मिलके रहेगा मंजिल का ठिकाना ।।
कभी ना ठहरता वक्त का पहिया, उसने तो बस चलना जाना।
हासिल करना है जो लक्ष्य तुझे, वक्त के संग चलते जाना।।
उनकी होती कश्ती पार, जिनके हाथों में है पतवार l
कश्ती उनकी डूब जाती, जिनकी गैरों के हाथ में हो पतवार।।
हालातों से लड़ना सीखो, तूफानों से टकराना।
हौसले हो ऊंची उड़ान के, तो पंख लगाने से क्या डरना।।
कर्मों से ही किस्मत बदलती, रख भरोसा कर्मों पर।
खुद पर जो रखे भरोसा, वह बदलता है हर मंजर।।
मंजिल हो आखिरी ठिकाना, लक्ष्य हो निगाहों में।
कर्म पथ पर निकल पड़ों तुम, हों मोड कितने ही राहों में ।।
— सविता जे राजपुरोहित