गीत
आँखें भरी – भरी सी दिल घबराया हुआ है।
क्या बात हो गई चेहरा मुरझाया हुआ है।
किसके लिए तड़पता दिल तेरा बता दे।
क्या इश्क़ का लगा तुमको रोग है जता दे।
यूँ छूप – छूप रोने से फायदा हुआ क्या।
कुछ दर्द कम हुआ होगा और कुछ मिला क्या।
उसकी जुदाई में चेहरा झुलसाया हुआ है।
आँखें भरी – भरी सी दिल घबराया हुआ है।
क्या बात हो गई चेहरा मुरझाया हुआ है।
वो कौन राज़ अपने दिल में छुपाये हो तुम।
किसके क़हर से ख़ुद को सबसे बचाये हो तुम।
जितना भी कर लो कोशिश छुपती नहीं मुहब्बत।
ये होता जिसको उसपर होती ख़ुदा की रहमत।
बूंदें दे टपका आँखें भी दहलाया हुआ है।
आँखें भरी – भरी सी दिल घबराया हुआ है।
क्या बात हो गई चेहरा मुरझाया हुआ है।
जिसको हुई मुहब्बत , दुश्मन बना ज़माना।
मंज़िल तुम्हें मिलेगी , अपना वादा निभाना।
कर के भरोसा इक – दूजे पर मिशाल बनो।
चढ़ के कभी न उतरे वैसा गुलाल बनो।
किस सोच में पड़े हुए हो, सर चकराया हुआ है।
आँखें भरी – भरी सी दिल घबराया हुआ है।
क्या बात हो गई चेहरा मुरझाया हुआ है।
— अंजु दास गीतांजलि