हाइकू – माँ अम्बे को नमन
माँ तुम जैसा
स्नेह-ममत्व पाऊँ,
कहाँ जग में ।
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कभी बनती,
गौरी कभी काली सी,
माँ कल्याण को ।
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धर कलश
करूँ मैं माँ स्वागत,
बना साँतिया ।
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नारियल को,
सजाकर पत्र से,
कर जोड़ता ।
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थाल सजाके,
फूल-प्रसाद तुझे,
अर्पण करूँ ।
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तेज़ मुख पे,
लिए आ रही तुम,
हरने पीड़ा ।
—-
करो प्रवेश,
हे! शक्तिरूपा आया,
शुभ मुहूर्त ।
— भावना ‘मिलन’ अरोरा