ॐ ह्रीं दुंदुर्गाये नमः, नमस्कार स्वीकार करो !
मुझे भँवर से पार करो माँ, तुम मेरा उद्धार करो ।
धूं धूं धूमावती ठ ठ, सारे सुख प्रदान करो,
करो क्षमा माँ मेरी गलती, और मेरा कल्याण करो ।
सब की सब बाधाएँ हर लो, दूर क्लेश-विकार करो,
रोग-मुक्त, सुख-शान्ति युक्त, माँ मेरा परिवार करो ।
मेरे अंधकार को हर लो, जय ज्योति माँ जय ज्वाला,
मुझको इतनी श्रद्धा दे दो, हो जाऊं मैं मतवाला ।
मुझे गति दो श्रेष्ठ-मार्ग पर, आगे ही बढ़ता जाऊं,
नहीं क्षति हो चाहे मैं, चट्टानों से टकरा जाऊं ।
लक्ष्मीवान, यशवान बनूँ मैं, ऐसे कर्म कराओ माँ,
कोई न शत्रु रहे जगत में, ऐसा ज्ञान सिखाओ माँ ।
तुझमें और कर्म में मेरी, पूरी-पूरी निष्ठा हो माँ,
कोई कटु शब्द ना बोले, हाँ ऐसी प्रतिष्ठा दो माँ ।
जय अम्बे, जगदम्बे माता, अच्छे मेरे विचार करो,
प्यार तेरा मैं हरक्षण पाऊँ, ऐसा बारम्बार करो ।
सब जीवों से प्रेम करूँ मैं, ऐसा हृदय बनाओ माँ,
शत्रुओं को सद्बुद्धि दे दो, मेरी शक्ति बढ़ाओ माँ ।
ओ मेरी और जग की माता, सुख-शांति से घर भर दो,
अजय बनाओ अभय बनाओ थोड़ी हमपर कृपा कर दो ।
— प्रमोद गुप्त