हे राम तेरे चरणों में, ध्यान लगाएं हम,
जब भी गाएं, तेरे ही गुण, गाएं हम ।
दुःख की जड़,दुर्गुणों को मेरे दूर करो,
सभी तरह के शत्रु, चकना-चूर करो ।
हनुमान से पात्र बनें हम भिलनी से-
अपनी भक्ति से हमको, भरपूर करो ।
अपने जैसे ही सद्गुण, कुछ हमको दो-
और संस्कार, तेरे जैसे ही, पाएं हम ।
सद्बुद्धि दो राम, सदां कृपा रखना,
दुर्घटना, रोग आदि से, रक्षा करना,
दुरुपयोग करें ना, धन का दान करें,
अपनी दृष्टि में ना पड़ जाए गिरना,
अपने अन्दर के रावण को मार सकें-
और तेरे ही पथ पर, चलते जाएं हम ।
विद्यावान, यशवान, लक्ष्मीवान बनें,
तेरी कृपा हो तो, हम भी महान बनें,
किन्तु बाँधकर रखना, मर्यादाओं में-
कर सद्कर्म, राष्ट्र के स्वाभिमान बनें ।
राम और क्या कहूँ कि तू सब जाने है-
सुख -दुख में कभी न तुझे भुलाएं हम ।
— प्रमोद गुप्त