गुजरात में मछुआरे के हाथ लगी डेढ़ करोड की मछलियां ख़बर समाचार पत्रों में पढ़ने को आई ।वणाकवारा समुद्री क्षेत्र में क्रोकर मछली निर्यात की जाती चीन,हांगकांग,ताइवान,आदि देशों में काफी मांग है।जो मछली व्यापार से जुड़े लोगों के लिए लाभदायक है।देखा जाए तो नदी तालाबों में मछली के अंडे देने का प्रजनन काल जुलाई,अगस्त में होता है।जिस पर मत्स्य आखेट करने पर प्रतिबंध एवं जुर्माना निर्धारित है।मछलियों को कई बार फिश पोंड निर्मित कर मछलियों का उत्पादन बढ़ा कर रोजगार की और उन्नमुख होते जा रहे है।नर्मदा नदी मध्यप्रदेश की जीवन रेखा है। उल्लेखनीय है कि नर्मदा नदी में कई तरह की मछलियां पाई जाती है।इनमे से एक है टाईगर फिश (महाशीर मछली) को विशेष दर्जा प्राप्त है।विभिन्न कारणों से टाईगर फिश की संख्या में कमी पाई गई।जो चिंता का विषय है।नदी के आसपास के रहनेवाले लोगों का कहना है कि पहले के समय में श्रद्धालु लोग मछली को पकड़वाकर उसकी नाक में सोने की नथ पहनाकर वापस नदी में छोड़ते थे।वे इसे पुण्य का कार्य मानते थे।वर्तमान में अब ये प्रथा का कार्य महंगाई की वजह से दूर हुआ है।आज भी कई लोग नदियों में मछलियों को आहार देने हेतु चने,आटे गोलिया बनाकर डालते देखे जा सकते है।गंगा नदी में तो प्रदूषण को पूर्णतया समाप्त करने के उद्देश्य से डॉल्फिन मछलियां भी छोड़ी गई थी।विभिन्न प्रकार की मछलियों के पालन हेतु रोजगार की दिशा में व्यवसाव लाभदायक है।जलवायु मछलियों के लायक होना चाहिए।
— संजय वर्मा “दृष्टि”