सहकारिता का मुख्य उद्देश्य
सहकारिता का मुख्य उद्देश्य कृषकों, ग्रामीण जनों जैसे – ग्रामीण कारीगर, भूमिहीन मजदूर, कमजोर समुदाय, बेरोजगार आदि का विकास करना है । सहकारिता का हमेशा यह प्रयास रहता है कि सभी वर्गों को पूर्ण रोजगार आवंटन हो । भारत जैसे ग्रामीण प्रधान देश में जहां मानव शक्ति सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्रोत है और जिसका एक बड़ा हिस्सा कमजोर वर्ग में आता है । सहकारिता का प्रमुख उद्देश्य सुयोग्य नेतृत्व में ही कारगर साबित हो सकता है ।
सहकारिता का विचार हमारे देश में आज से लगभग सौ वर्ष पूर्व ही अपनाया जा चुका था । आज भी इसके द्वारा अनेक ग्रामीण व शहरी समस्याओं का हल किया जा रहा है । देश की सत्तर प्रतिशत जनसंख्या का विकास करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र को विकसित करना अनिवार्य है । राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने कहा था – ‘भारत ग्रामों में निवास करता है ।’ गांधीजी चाहते थे कि भारत का प्रत्येक ग्रामीण रोजगार संपन्न हो, ताकि उसे रोटी, कपड़ा, मकान उपलब्ध हो सके । आदर्श ग्राम वही हो सकता है जो पूर्णतः स्वालम्बी हो ।
आज सरकारें तमाम योजनाएं चला रहीं हैं, परन्तु सहकारिता का स्वप्न साकार होने में अभी भी समय लगेगा, क्योंकि आज भी कुछ स्थानों पर बिजली, पानी, सड़क की समस्या है । हालांकि सरकारें ग्रामीण विकास पर विशेष बल दे रही हैं, परंतु भ्रष्टाचार ग्रामीण विकास में ही नहीं अपितु शहरी विकास में भी रोड़ा बन रहा है । लेकिन पहले की अपेक्षा भारत के ग्रामों के आधुनिकीकरण का लक्ष्य काफी हद तक पूर्ण हुआ है ।
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा