ग़ज़ल
दीपमाला से सजा दो राह जीवन की नयी अब
जगमगा जायें सभी पथ चाह है मन की यही अब
हे गजानन मात लक्ष्मी ,झोलियाँ भर दो हमारी
जोड़कर कर माँगती हूँ आज से हो सब सही अब
स्वस्थ कर दो तन,ये मन ,ये उर ,करो पावन हमारा
द्वेष ना हो ,क्लेश ना हो ,एक अभिलाषा रही अब
हो सदा ही ,हाथ से मेरे भला सबका विधाता
ह्रदय हो पावन हमारा हो शुभम मंगल सही अब
दिल किसी का ना दुखे सबकी मदद करती रहूँ मै
स्वप्न में आकर बता दो लक्ष्य जीवन का सही अब
भुखमरी , बेरोज़गारी , देश से मेरे खतम हो
विश्व चरणों में झुके उम्मीद है मन में यही अब
हर बुराई हो खतम कलुषित रहे ना ह्रदय कोई
शुभ रहे सबको दिवाली बात ये मन की कही अब॥
— अनामिका लेखिका