मुझे शिकायत है आज की आधुनिक उस पीढ़ी से जो अपने संस्कारों, मूल्यों,नैतिक दायित्व का निर्वहन करने में असमर्थ हो रही है।
आज हम सभी व्यस्त जीवनचर्या का पालन करते हैं।हमारे पास बुजुर्गों के पास समय व्यतीत करने के लिए समय ही नहीं है।
गणवेश के साथ साथ हमारी आत्मा भी पाश्चात्य संस्कृति के रंग में रँग चुकी है। जबकि हम कपड़ों से बेशक आधुनिक बनें किंतु विचारों में शालीनता होनी चाहिए। बड़ो के प्रति आदर और छोटों के लिए स्नेह होना चाहिए।
दूसरा मुझे शिकायत है उन धर्मगुरुओं से जो आज आध्यात्म की आड़ में भौतिवाद को प्रोत्साहन दे रहे हैं।
जो भोली -भाली जनता को अंधविश्वास का शिकार बनाकर उन्हें आर्थिक और मानसिक रूप से कमज़ोर कर रहे हैं। ये ऐसे भिखारी हैं जो ईश्वर का सहारा लेकर भिक्षावृत्ति करते हैं। कभी ग्रहदशा शांत करने… कभी पुत्र प्राप्ति का लालच देकर… कभी सरकारी नौकरी मिलने का आश्वासन देकर व्यक्तियों को पथभ्रमित करते हैं… और अपना उल्लू सीधा करते हैं।
शिकायत है मुझे ऐसे व्यक्तियों से जो दीपावली की आड़ में आतिशबाजी करके, पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। जिससे आम जनता को साँस लेने में तकलीफ होती रहती है। एयर क्वालिटी इंडेक्स के हिसाब से कई शहर पूर्णतया प्रदूषित हो चुके हैं। आज बुलंदशहर, मेरठ और दिल्ली जैसे शहरों की हवा में प्रदूषण अत्यधिक बढ़ गया है, इस प्रदूषण के कारण हवा में छोटे-छोटे गंदगी के कण तैरते हुए दिखाई देते हैं। इनसे रास्ते भी धुँधले हो जाते हैं, जिसके अक्सर व्यक्ति कारण सड़क दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं।
— प्रीति चौधरी “मनोरमा”