दिलकश-दिलफ़रेब है चाँदनी रात,
दूध से नहाई है मौसम ए हयात।
तुम चुप रहो, हम भी रहें ख़ामोश ,
आँखों की आँखों से होती रहे बात।
मन मदहोश करती है मदमस्त हवा,
इत्र में डूब सी गई है सारी कायनात।
चाँद की चाँदनी चुपके से चुन लो
मोतियों से सजी है तारों की बारात।
धड़कन सुन रही धड़कनों का शोर,
प्यार की हो रही है गुपचुप शुरुआत।
हसरत है शोख़ गज़ल लिखने की,
प्यार की सुर्ख़ स्याही, चाहतों की दवात।
दिल के शहर में वफाओं का घर है
प्यार की हो गई खूबसूरत शुरुआत।
दिल कर रहा है दिल से दुआ प्रीति,
ठहर जाएँ यहीं पर ये हसीं लम्हात।
— प्रीति चोधरी “मनोरमा”