इतिहास

स्मृति शेष मन्नू भंडारी

मध्यप्रदेश भोपाल में 3 अप्रैल 1931 को जन्मी हिंदी साहित्य की मशहूर लेखिका मन्नू भंडारी 15 नवंबर 2021 को पंचतत्व में विलीन हो गईं। उनके निधन के साथ ही साहित्य जगत की एक पीढ़ी का अवसान हो गया। मन्नू भंडारी उस आंदोलन का हिस्सा रहीं जिसने हिंदी कहानी को एक नया आयाम दिया। जिस आंदोलन ने हिंदी कहानी को रूढ़िवादिता की बेड़ियों से बाहर निकाला तथा सपनों और कल्पनाओं के सुनहरे पंख लिए खुले आसमान में उड़ने की आजादी प्रदान की। इस आंदोलन को हम नई कहानी आंदोलन के नाम से जानते हैं।
                  मन्नू भंडारी उन लेखिकाओं में से रहीं हैं जिन्होंने आजादी के बाद भारत की महत्वकांक्षी महिलाओं के किरदारों को अपनी कहानियों और उपन्यासों का हिस्सा बनाया। उनकी कहानियों और उपन्यासों में महिला किरदारों और समाज में उनकी स्थिति का चित्रण देखने को मिलता है। मन्नू भंडारी का साहित्यिक सफर उनके पति मशहूर लेखक राजेंद्र यादव के साथ 1961 में प्रकाशित उपन्यास “एक इंच मुस्कान” के साथ शुरू हुआ। इस उपन्यास में दो महिलाओं का प्रेम एक पुरुष के साथ दिखाया गया है। जिसमें पुरुष किरदार के संवाद को राजेंद्र यादव और दोनों महिलाओं के अभिव्यक्ति को अभिव्यक्त करने का काम मन्नू भंडारी ने किया है। इस उपन्यास में मन्नू भंडारी राजेंद्र यादव से कहीं अधिक सशक्त नजर आती हैं। इसके बाद मन्नू भंडारी का दूसरा उपन्यास आपका बंटी 1979 ईस्वी में प्रकाशित हुआ। यह बाल मनोविज्ञान पर लिखा एक बहुचर्चित उपन्यास है जिसने मन्नू भंडारी को एक साहित्यकार के रूप में आसमान की बुलंदियों पर तथा पाठकों के दिल में बिठा दिया। इस उपन्यास की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसे फ्रेंच,बांग्ला तथा अंग्रेजी में अनूदित कर प्रकाशित किया गया।
                   मन्नू भंडारी के द्वारा साहित्य के क्षेत्र में कई अमर कृतियां रखी गई जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित है-
      *उपन्यास :*
                      आपका बंटी, महाभोज,एक इंच मुस्कान,स्वामी
      *कहानी संग्रह :*
                       मैं हार गई,यही सच है,एक प्लेट सैलाब,त्रिशंकु
       *संस्मरण:*
                       कितने कमलेश्वर
       *आत्म कथ्य:*
                       एक कहानी यह भी
        *कहानियाँ:*
                        अकेली, सयानी बुआ,स्त्री सुबोधनी,मुक्ति, रजनी,ईशा के घर आदि।
              इनके साहित्यिक सफर को विभिन्न प्रकार के सम्मानों/पुरस्कारों से सम्मानित/पुरस्कृत किया गया। इन्हें केंद्र तथा राज्य सरकारों ने साहित्यिक सम्मानों से सम्मानित किया जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित है-
  हिंदी साहित्य अकादमी सम्मान, व्यास सम्मान(2008) एक कहानी यह भी के लिए, दिल्ली शिखर सम्मान, बिहार साहित्य सम्मान, भारतीय भाषा परिषद सम्मान, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा पुरस्कार आदि।
      मन्नू भंडारी के बचपन का नाम महेंद्र कुमारी था किंतु लेखन के लिए उन्होंने मन्नू नाम चुना। इसके पीछे एक कारण यह है कि बचपन में सभी उन्हें इसी नाम से पुकारा करते थे और आजीवन वह मन्नू भंडारी के नाम से ही मशहूर रहीं। दिल्ली के प्रतिष्ठित मीरांडा हाउस कॉलेज में अध्यापिका रही भंडारी जी को लेखन का संस्कार विरासत में उनके पिता द्वारा मिला था। धर्मयुग में धारावाहिक के रूप में प्रकाशित उनका उपन्यास “आपका बंटी” से उन्हें लोकप्रियता मिली। इस उपन्यास में प्रेम,विवाह,तलाक और टूटते वैवाहिक रिश्ते के बीच पीसते हुए एक मासूम बच्चे की दर्द भरी दास्तां प्रस्तुत किया गया है। इसी उपन्यास पर बाद में “समय की धारा” नामक एक फिल्म भी बनी।
                 मन्नू भंडारी आज हमारे बीच नहीं है लेकिन वह अपनी कृतियों एवं कथनों के माध्यम से अपने पाठकों के स्मृति पटल पर हमेशा जिंदा रहेंगी। वह कहती थीं :
      *”मैंने अपनी पीड़ा किसी को नहीं बताई क्योंकि मेरा मानना है कि व्यक्ति में इतनी ताकत होनी चाहिए कि अपने दुःख अपने संघर्षों से अकेले जूझ सके।”*
             पुण्य आत्मा को शत-शत नमन करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
— सुजीत संगम