भाजपा की यात्राओं से बढे़गा उत्तर प्रदेश में राजनैतिक तापमान
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों को लेकर सरगर्मियां और बयानबाजियां तेज होती जा रही हैं। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने भी 2014, 2017 और 2019 की सफलता को दोहराने के लिए अपनी कमर कस ली है। भाजपा को इस बार सपा मुखिया अखिलेश यादव की विजय रैलियों में आ रही भारी भीड़ के माध्यम से कड़ी चुनौती मिलती नजर आ रही है। सपा की रैलियों में आ रही भीड़ देखकर सपा नेता का मनोबल ऊंचा होता जा रहा है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने भी दिन प्रतिदिन की समीक्षा करते हुए अपने चुनाव अभियान को तेज धार देने का काम शुरू कर दिया है।
2017 में जब विधानसभा चुनाव हुए उस समय केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बन चुकी थी और प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाजवादी सरकारों के खिलाफ जनमानस में एक आक्रोश उबल रहा था, जिसका लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिला था। लेकिन अब भाजपा सरकार का कार्यकाल पूरा हो चुका है और बीजेपी अपने दूसरे कार्यकाल के लिए जनता से आशीर्वाद मांगने निकल पड़ी है।
भारतीय जनता पार्टी चुनावी बिगुल बजने के पहले छह यात्राएं निकालने जा रही है, जिनके माध्यम से केंद्र और प्रदेश सरकार की विकास गाथा सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों में पहुचेगी। इन यात्राओं का समापन पिछली बार की तरह लखनऊ में होगा और एक विशाल जनसभा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे। यात्राओं के कार्यक्रम तय करने के लिए आयोजित बैठक को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इन यात्राओं के माध्यम से भाजपा केंद्र और प्रदेश सरकार की उपलब्धियों को जनता के बीच लेकर आयेगी। 2017 के चुनाव से पहले जब यात्रा निकाली थी तब हमने पूर्ववर्ती सरकार की खामियों को जनता के बीच उजागर किया, जबकि इस बार हम अपनी उपलब्धियां बताने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए जनता के बीच जा रहे हैं उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से चली आ रही परिवारवाद, क्षेत्रवाद, भाषावाद, जातिवाद मत और मजहब के दायरे में कैद होकर चली आ रही राजनीति को प्रधानमंत्री ने बदला है।
भाजपा नेताओं को विश्वास है कि अयोध्या, मथुरा और काशी में चल रहे विकास कार्यक्रमों तथा कोरोना काल में जिस प्रकार से बीजेपी व संघ के स्वयंसेवकों ने सेवा का कार्य किया उससे प्रदेश की जनता एक बार फिर भाजपा को तीन सौ सीटों के साथ बहुमत देकर अपना आशीर्वाद देगी। यह बात बिल्कुल सही है कि विगत पांच वर्षो में सरकार ने नये भारत की स्थापना के लिए जिस अभियान को आगे बढ़ाया है आज वह प्रत्येक नागरिक की जुबान पर सुनाई देता है।
एक समय था जब प्रदेश के विरोधी दल भारतीय जनता पार्टी से पूछा करते थे कि राम लला हम आयेंगे, मंदिर कब बनायेंगे। यह सवाल उठाने वाले आज सभी लोग अयोध्या जाकर प्रभु श्रीराम के चरणों में अपना शीश नवाकर चुनाव प्रचार का श्रीगणेश कर रहे हैं यह हिंदुत्व की प्रदेश में एक बड़ी विजय है। आज अयोध्या, मथुरा, काशी सहित हिंदू समाज के सभी मंदिरों व तीर्थस्थलों का विकास हो रहा है। दिसम्बर माह के दूसरे पखवारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काशी विश्वनाथ कोरिडोर का उद्घाटन करने वाले हें। काशी में बीजेपी का महामंथन भी होने जा रहा है। काशी में होने जा रहा समारोह बहुत ही भव्य होने जा रहा है जिसका सीधा प्रसारण भी किया जायेगा। योगी सरकार ने मथुरा वृंदावन का भी विकास करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी है। मथुरा वृंदावन को नगर निगम घोषित करने के बाद वहां पर मांस मदिरा की बिक्री को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया। अवैध बूचड़खाने बंद किये गये। अयोध्या से चित्रकूट तक भव्य दीपोत्सव मनाकर भगवान राम से जुड़े सभी तीर्थस्थलों को अंतरराष्ट्रीय फलक पर स्थापित किया जा रहा है। योगी सरकार में ही दिव्य और भव्य कुंभ का आयोजन हुआ जिसमें भी सभी दलों के नेताओं ने अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए डुबकी लगाने की नौटंकी करी थी।
प्रदेश की जनता को पता है कि प्रदेश में योगी सरकार ही हिंदू धर्म व सनातन संस्कृति की रक्षा करने मेें समर्थ है। यही कारण है कि प्रदेश में हिंदुत्व की जड़ों को हिलाने के लिए सलमान खुर्शीद सरीखे नेता हिंदुत्व की तुलना आईएसआईएस व बोको हराम जैसे आतंकी संगठनों से कर रहे हैं।
भाजपा की चुनावी तैयारियो के बीच प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने एक ट्वीट कर राजनैतिक सनसनी मचा दी है। जिस दिन प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अयोध्या दौरे पर जाना था ठीक उसी दिन प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट किया कि, “अयोध्या काशी भव्य मंदिर निर्माण जारी है, मथुरा की तैयारी है।” इसके आगे उन्होंने लिखा जय श्रीराम जय शिव शम्भू जय श्री राधे कृष्ण। बस फिर क्या था, उसके बाद सोशल मीडिया से लेकर टी वी चैनलों पर बहसें शुरू हो गयी और हल्ला मच गया है।
उपमुख्यमंत्री के ट्वीट के बाद सभी तथाकथित हिंदू प्रेमी नकली हिंदू एक बार फिर मैदान में उतर पड़े हैं। सभी दलों की ओर से कहा गया कि विधानसभा चुनावों में कडा़ मुकाबला झेल रही भाजपा ने अब सांप्रदायिक राजनीति के ध्रुवीकरण का खेल खेलना शुरू कर दिया है। सभी सेकुलर दल परेशान हैरान हो गये हैं कि चुनावों के पहले कहीं मथुरा में तो नया खेला नहीं होने जा रहा है। मथुरा में भी अयोध्या की तरह विवादित स्थल से शाही ईदगाह को हटाने की मांग की जा रही है। ईदगाह को हटाये जाने की मांग को लेकर अखिल भारत हिंदू महासभा, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन समिति, नारायणी सेना नामक कई संगठनों एवं कुछ लोगों द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्वयं को भगवान श्रीकृष्ण का अनुयायी बताते हुए मथुरा की जिला एवं सिविल जज (सीनियर डीविजन) की अदालत में। वाद दाखिल किये हैं जो विचाराधीन है और जिन पर सुनवाई चल भी रही है। मुकदमे में शामिल सभी हिंदू पक्षकारों को पूरा यकीन है कि अदालत में उनका पक्ष पूरी तरह से मजबूत है और मथुरा का फैसला भी अयोध्या की तर्ज पर उनके पक्ष में ही आयेगा।
उपमुख्यमंत्री का यह ट्वीट इसलिए भी चर्चा का विषय बन गया है क्योंकि आगामी छह दिसम्बर को श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर में घुसकर श्रीकृष्ण के बाल विग्रह पर जलाभिषेक किये जाने की घोषणा की गयी है। मथुरा में धारा 144 भी लादी गयी है लेकिन एक ट्वीट के बाद सियासत तेज हो गयी है। भाजपा के एक और विधायक का बयान आ गया कि अब मथुरा भी आजाद होगा कई संगठनों से बातचीत चल रही है और मुस्लिम समाज के लोग वहां से ईदगाह हटाकर अपना बडप्पन दिखायें।
मथुरा पर बीेजेपी नेताओ के बयानों को देखने के बाद सेकुलर दलों ने एक बार फिर बीजेपी पर हमला बोलना शुरू कर दिया है। सभी दलों का कहना है कि आगामी चुनावों में अपनी भव्य पराजय को देखते हुए अब बीजेपी ने एक बार फिर हिंदू मुसलमान की राजनीति शुरू कर दी है। सभी दलों के नेता कह रहे हैं कि बीजेपी नेताओं के यह बयान एक सुनियोजित साजिश हैं बीजेपी ने साढ़े चार वर्ष विकास का कोई काम नहीं किया इसलिए अब मथुरा का मुद्दा उठा लिया है।
जबकि राजनैतिक विश्लेषक के अनुसार यह मत है कि भाजपा का यह बयान एक बहुत ही सधी हुई राजनीति के तहत ही दिया गया है। किसान आंदोलन के कारण बीजेपी को पश्चिम उप्र में कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा था लेकिन कृषि कानूनों की वापसी के बाद अब वह मामला ठंडा पड़ता जा रहा है। रणनीतिकारों का अनुमान है कि चुनाव आते आते किसान आंदोलन पूरी तरह से समाप्त हो जायेगा और उसका कोई असर भी नहीं रह जायेगा। भाकियू नेता चौधरी नरेश टिकैत का भी कहना है कि अब सरकार व किसानों के बीच दूरियां समाप्त हो रही हैं तथा किसानों को घर वापसी करनी चाहिए। अभी तक पश्चिमी उप्र में बीजेपी ठीक से जनता के बीच जा नहीं पा रही थी, लेकिन अब एक बड़ा रास्ता खुल गया है। पश्चिमी उप्र की कमान गृहमंत्री अमित शाह का दी गयी है। इससे पहले पश्चिमी उप्र में ही योगी जी मुजफ्फरनगर के दंगों और पलायन का मुददा जोर-शोर से उठा चुके हैं। मथुरा पर उपमुख्यमंत्री की ओर से दिया गया बयान एक बहुत बड़ी राजनैतिक सोच के अनुसार धु्रवीकरण कराने को ही दिया गया है।
मथुरा पर बयान आने के बाद सभी नकली रामभक्तों की कलई एक बार फिर खुल गयी है। सभी दलों के हिंदू धर्म के प्रति दोहरे मापदंड उजागर हो गये हें। अभी यही दल जिन्ना का महिमामंडन कर रहे थे और देशविभाजन कराने के लिए भाजपा को जिम्मेदार बता रहे थे यह बयान उन पर पलटवार है। आज मथुरा पर जो लोग भाजपा को घेर रहे हैं यही लोग कभी प्रभु राम का अस्तित्व ही नकार चुके हैं सपा, बसपा, कांग्रेस, आआपा सहित भाजपा को हराने का सपना देखने वाले लोग हिंदू धर्म व सनातन संस्कृति के प्रति कभी उदार हो ही नहीं सकते।
पिछली सपा, बसपा की सरकारों में हिंदू धर्म व सनातन संस्कृति का कितना अपमान होता था यह सभी ने देखा है। कोई भी सेकुलर मुख्यमंत्री अयोध्या, मथुरा व काशी नहीं जाता था। आज प्रदेश का विकास हो रहा है। यही कारण है कि बीजेपी एक बार फिर यात्राओं व हिंदू धर्म के आस्था के केंद्रों व प्रतीकों के सहारे जनता का अशीर्वाद प्राप्त करने के लिए निकल पड़ी है और उसे पूरा विश्वास है कि वह जनप्रिय योजनाओं के माध्यम से भी तीन सौ सीटों का लक्ष्य हासिल कर ही लेगी। त्रिपुरा और गुजरात के वापी नगर निकायों के चुनाव परिणाम जिस प्रकार से आये हैं उससे भी भाजपा में एक नया उत्साह जगा है।
— मृत्युंजय दीक्षित