गीतिका/ग़ज़ल

आइनों को बुरा मत कहा कीजिये

आइनों को बुरा मत कहा कीजिये ।
आइने जो कहें वो सुना कीजिये ।।1

हर्फ़ उभरे हैं उल्फ़त के रुख़सार पर ।
उनके चेहरे को कुछ तो पढा कीजिये ।।2

आज महफ़िल में वो आएंगे बेनक़ाब ।
दिल न टूटे किसी का दुआ कीजिये ।।3

है मुनासिब नहीं ख़ामुशी आपकी ।
गर हैं बीमारे ग़म तो दवा कीजिये ।।4

अब मुहूरत पे चर्चा बहुत हो चुका ।
बस अभी प्यार की इब्तिदा कीजिये ।।5

कैसे डसतीं हैं मुझको ये तन्हाइयां ।
मेरे हालात पर तब्सिरा कीजिये ।।6

ज़ख़्म नासूर हो जाएगा एक दिन ।
ज़ख़्म को इस तरह मत हरा कीजिये ।।7

–नवीन मणि त्रिपाठी

*नवीन मणि त्रिपाठी

नवीन मणि त्रिपाठी जी वन / 28 अर्मापुर इस्टेट कानपुर पिन 208009 दूरभाष 9839626686 8858111788 फेस बुक [email protected]