गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल

गजल

 

इक सफर में हमने दो बार जिंदगी दी

कुछ सीख वक्त से संवार जिंदगी दी

 

जो मिला साथ लिये निकल पड़ी हूँ

आइना देख कर यूँ निहार जिंदगी दी

 

जरा देख मुसाफिर दूर खडी़ मंजिल

तूने पहले ही क्यों गुजार जिंदगी दी

 

जख्म का चूम दामन लगा कर गले

पतझड़ को हमने बहार जिंदगी दी

 

तूफां लहर हर मुसीबत से लडी हूँ मैं

डूबती किश्ती को हर पार जिंदगी दी

 

मेरे हर इक शेर पे दाद मिले यां न मिले

मेरे शेरो ने ‘ आरू ‘ कईं हजार जिंदगी दी

 

— आरती शर्मा (आरू)

 

 

आरती शर्मा (आरू)

मानिकपुर ( उत्तर प्रदेश) शिक्षा - बी एस सी