प्रगाढ है भारत और रूस की मित्रता
कोविड महामारी और यूक्रेन के कारण बढ़ते विवाद के बीच रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने भारत की छह घंटे की बहुत ही संक्षिप्त यात्रा की, लेकिन यह यात्रा कई मायने में बहुत ही महत्वपूर्ण व ऐतिहासिक सिद्ध हो रही है। रूसी राष्ट्रपति की यात्रा से कई संदेश मिल चुके हैं तथा देश के अंदर जो लोग मोदी सरकार की विदेश नीति की आलोचना कर रहे थे व देश का तथाकथित वामपंथी समूह जिस प्रकार से अपने सेकुलर मीडिया के सहारे यह अफवाह लगातार फैला रहा था कि भारत और रूस की मैत्री के बीच जो मैत्री वर्षों से चली आ रही थी उसमें अब वह सरगर्मियां नहीं रही हैं, रूस और भारत दूर-दूर जा रहे हैं आदि सभी भ्रम व संदेह भी दूर हो गये हैं। भारत और रूस की मैत्री के बीच दोस्ती की दूरियों का यह भ्रम अफगान संकट के समय और तेजी से फैलाया गया था, लेकिन अब सभी संदेह, भ्रम व अफवाहों को दौर समाप्त हो जाना चाहिए।
भारत और रूस के बीच की मैत्री पहले की ही तरह प्रगाढ़ थी और रहेगी ही नहीं, अपितु और मजबूती आयेगी। कोरोना काल खंड में रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन केवल दो बार अपने देश से बाहर निकले हैं। उन्होंने अपने सभी बड़े वैश्विक कार्यक्रम रद्द कर दिये, लेकिन सभी संभावनाओं को दरकिनार करते हुए उन्होंने नई दिल्ली की यात्रा की। अपने वक्तव्य में उन्होंने भारत को एक महान शक्ति व सबसे विश्वसनीय दोस्त बताया है। भारत और रूस के बीच की दोस्ती कभी कमजोर नहीं हुई है। मोदी सरकार के विरोधी व समीक्षक यह आरोप लगाते रहे हैं कि भारत और रूस के बीच दोस्ती में कुछ कमी आ गयी है, लेकिन लोग भूल जाते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की आखिरी मुलाकात दो साल पहले ब्राजील की राजधानी ब्रासीलिया में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थीं और फिर पूरी दुनियाभर में फैली हुई महामारी के बीच दोनों नेताओ के बीच छह बार टेलीफोन बातचीत हुई। दोनों नेताओं के बीच तीन बार वीडियो कांफ्रेसिंग से बातचीत हुई है।
भारत ने रूस के साथ द्विपक्षीय बातचीत करके यह साबित कर दिया कि उसकी विदेश नीति पूरी तरह से स्वतंत्र है और उस पर किसी का कोई दबाव नहीं है। अमेरिकी प्रतिबंधोें की चेतावनी को दरकिनार करते हुए भारत ने रूस के साथ एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम के सौदे को अंतिम रूप दे दिया और रूस ने अपनी दोस्ती को निभाते हुए उसकी डिलीवरी भी शुरू कर दी है। खबर है कि अब भारत और रूस के बीच एस-500 पर वार्ता शुरू हो चुकी है। जब रूस ने अपना मिसाइल डिफेंस सिस्टम तुर्की को बेचा था, उस समय अमेरिका ने तुर्की पर प्रतिबंध लगा दिये थे, लेकिन भारत के मामले पर अमेरिका के जो बाइडेन प्रशासन ने भारत पर प्रतिबंध लगाने की शुरूआती धमकियों के बाद चुप्पी साध ली है औंर अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। यह भारत की विदेश मामलों की रणनीति की सफलता ही कही जायेगी।
भारत में मोदी विरोधी गुट यही इंतजार कर रहा है कि अमेरिका भारत पर प्रतिबंध कब लगाता है। लेकिन अभी तक विरोधियों को यह नसीब नहीं हुआ है। भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय रक्षा संबंधों, अफगानिस्तान, आतंकवाद, एशिया प्रशांत और कोरोना महामारी की चुनौतियों से लेकर अंतरिक्ष व विज्ञान क्षेत्र में नये सहयोग के मुददे पर बातचीत हुई। राष्ट्रपति पुतिन ने अपने भाषण में कहा कि दोनों देशों के लिए आतंकवाद, मादक पदार्थों का कारोबार और संगठित अपराध चिंता कारण है। हम अफगानिस्तान को लेकर भी समान रूप से चिंतित हैं। भारत और रूस के बीच रक्षा, इस्पात, जहाजरानी, कोयला, पेट्रोलियम और ऊर्जा समेत 28 समझौते हुए। सबसे महत्वपूर्ण समझौता भारत में पांच लाख एके-203 असाल्ट राइफलों के निर्माण का है, इनका निर्माण यूपी के अमेठी में होगा। दोनों देशों ने क्लाश्निकोव सीरीज के छोटे-छोटे हथियारों के उत्पादन के बारे में फरवरी 2019 में हुए समझौते में संशोधन को भी मंजूरी दे दी है। भारत और रूस के बीच 30 अरब डालर के व्यापार और 50 अरब डालर के निवेश का लक्ष्य रखा गया है।
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि बीते साल भारत और रूस के व्यापार में 17 फीसदी की गिरावट आई थी, पर इस साल के शुरू के नौ महीने में व्यापार में 38 फीसदी की वृद्धि हो चुकी है। अभी दोनों देशों के बीच आपसी निवेश 38 अरब डालर के करीब है और रूस की तरफ से इसमें और बढ़ोत्तरी होगी। अपनी यात्रा के दौरान रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2022 में शिखर वार्ता के लिए रूस आने का निमंत्रण भी दिया। रूसी राष्ट्रपति की दिल्ली यात्रा के दौरान भारत और रूस के रक्षा और विदेश मंत्रियों के बीच भी वार्ता हुई और अगले वर्ष रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी रूस की यात्रा पर जा सकते हैं। भारत और रूस के बीच हुई वार्ता में सीमाओं पर चीनी अतिक्रमण पर भी चिंता जाहिर की गई है। जब भारत और रूस के बीच नई दिल्ली में वार्ता का दौर चल रहा था उस समय चीन और पाकिस्तान की नजरें भी इधर ही लगी हुई थीं। पाकिस्तान की ओर से कई बार ये प्रयास किये गये कि रूसी राष्ट्रपति इस्लामाबाद की भी यात्रा कर लें, तो अच्छा रहेगा। लेकिन उसकी सारी कोशिशें नाकाम हो गयीं और रूसी राष्ट्रपति ने अपने अति व्यस्त कार्यक्रमों के बीच नयी दिल्ली की यात्रा करके यह संदेश दे दिया कि रूस के लिए भारत कितना महत्वपूर्ण व अति आवश्यक मित्र है। साथ ही पता चल गया कि अब भारत की विदेश नीति पूरी तरह से स्वतंत्र है और उस पर किसी प्रकार के आरोप नहीं लगाये जा सकते।
— मृत्युंजय दीक्षित