गीत
सभी नही अच्छे उपवन में , आने जाने वाले लोग।
नजर गड़ाये हैं कलियों पर , गंध चुराने वाले लोग ।
पतझड़ तक धीरज तुम धर लो ,
फिर बहार वापस आयेगी ।
सच मानों फिर फूल खिलेंगे ,
डाल डाल कोयल गायेगी ।
बुलबुल ! तुझे कैद कर लेंगे,ख्वाब दिखाने वाले लोग।
नजर गड़ाये हैं कलियों पर………………….
अल्हड़पन के धुर दुश्मन ये,
यह बहेलियों के वशंज हैं।
सपने तहस नहस कर देंगे,
यह सारे मतवाले गज हैं ।
अक्सर आँसू दे जाते हैं , बहुत हँसाने वाले लोग।
नजर गड़ाये हैं……………………….
इंसानी शक्लों में गिरगिट
पल पल रंग बदलने वाले ।
उजले परिधानों में मिलते,
हाथ छुपाये अपने काले ।
सत्य अहिंसा जपते रहते, खून बहाने वाले लोग।
नजर गड़ायें है कलियो पर ………….
——————–© डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी