दानी लोग
दान करना मानव की आत्मीय व दिमागीय प्रवृत्त है। दानी तीन प्रकार के होते है दिल से दानी,दिमाग से दानी और दिल व दिमाग दोनों से दानी।
जो दिल से दानी होते है वो लाभ और हानि को आत्मा की थैली से बाहर निकाल निःस्वार्थ भावना से दान करते है। ये स्वभाविक दानी होते है
जो दिमाग से दानी होते है उनका दान करने का दायरा एक निश्चित क्षेत्र तक सीमित होता है। ये दान उन्ही को करते है जिनको देने के बदले में उनसे कुछ मिलने की उम्मीद रहती है। इनके दान करने का मकसद सिर्फ और सिर्फ लाभ कमाना होता है। ये व्यावसायिक दानी होते है।
जो दिल व दिमाग दोनों से दानी होते है वो लोग दिल से दानी तो होते ही है पर दान दिमाग दौड़ाकर करते है। ये अक्सर दान करते रहते है पर ज्यादा जोड़ उसी जगह दान करने पर देते है जहाँ से गोटेदार माल बटोरने की अतिशय सम्भावना दिखती है। ये स्वभाविक व व्यावसायिक दोनों का मिश्रित रूप है।