राजनीति

मालेगांव बम धमाकों में योगी जी को फंसाने की थी साजिश ?

महाराष्ट्र के मालेगांव में हुआ बम धमाका एक सुनियोजित राजनैतिक साजिश का एक बहुत ही बड़ा और घटिया हिस्सा था जो अब धीरे-धीरे ही सही लगातार बेनकाब होता जा रहा है और सेकुलर ताकतें भी उसी प्रकार से बेनकाब होती जा रही हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आजकल हिंदू धर्म बनाम हिंदुत्ववादी का नारा दिया है और उसकी आढ़ में वह सनातन हिदू संस्कृति को चोट पहुंचा रहे हैं। लेकिन अब यह साफ हो गया है कि राहुल गांधी एक बहुत ही सुनियोजित साजिश के तहत ही हिंदू धर्म बनाम हिंदुुत्व का मुददा उठा रहे थे। असलियत यह है कि अब मालेगांव बम धामके के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और संत समाज को बदनाम करने की जो साजिश रची गयी थी, वह अब खुलकर सामने आ रही है। यूपी विधानसभा चुनावों के ठीक पहले ही मालेगांव बम धमाके का 15वां गवाह भी मुकर गया है। 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में एक मस्जिद के पास मोटर साइकिल पर बंधा बम फटने से छह लोगों की मौत हो गई थीं और 100 से अधिक लोग घायल हो गये थे। पूरे मामले की जांच चल रही है और मामला अदालत में भी चल रहा है।
अभियोजन पक्ष के एक गवाह ने मंुबई की एक विशेष अदालत को बताया कि उसे महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दस्ते को एक बयान देने के लिए परेशान किया गया था। गवाह ने अदालत में कहा कि एटीएस ने जबरदस्ती मुझे घर से उठा लिया, मुझे अवैध रूप से हिरासत केंद्रों में रखा और मुझे व मेरे परिवार को परेशान किया गया। वे मुझे कई दिनों तक धमकी दे रहे थे और दबाव डाल रहे थे कि अगर मैं संघ नेताओं के नाम नहीं लेता तो मुझे रिहा नहीं किया जायेगा और आपकी पत्नी के साथ कुछ (रेप आदि) करेंगे और हम आपको तब तक नही छोड़ेंगे जब तक आप संघ के पांच सदस्यों योगी आदित्यनाथ, स्वामी असीमानंद, इंद्रेश कुमार, काकाजी और देवधरजी के नाम नहीं लेते। केस में अब तक अभियोजन पक्ष के 400 गवाहोें में से केवल 140 का ही परीक्षण किया गया है और अभी तक 15 गवाह अपने बयान से मुकर चुके हैं।
गवाह का बयान सामने आने के बाद राजनीति भी शुरू हो गयी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक इंद्रेश कुमार ने इसे संघ और हिंदुत्व को आतंकवादी संगठन घोषित करने के लिए यूपीए शासन द्वारा रची गई साजिश कहा है। इंद्रेश जी ने कहा कि अब अगर कोई आकर कहता है कि सोनिया गांधी या मनमोहन सिंह या सुशील शिंदे राहुल और प्रियंका शामिल नहीं थे तो वह गलत है। सच्चाई यह है कि इसमें पूरी कांग्रेस शामिल थी। वे सभी दल जो इसके गठबंधन में शामिल थे वे भी शामिल थे और समान रूप से दोषी थे। उन्होंने कहा कि यह तब भी साबित हुआ था और आज फिर हुआ है। उन सभी को माफी मांगनी चाहिए। यह धमाका रमजान के पवित्र माह में हुआ था जिसका लाभ उठाकर तत्कालीन सरकार ने अपना सेकुलर चेहरा दिखाने के लिए हिंदू संगठनों को बदनाम करने के लिए साजिश रच दी। इस मामले में भोपाल की सांसद साध्वी प्रज्ञा सिह ंठाकुर, स्वामी असीमानंद और लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित को मुख्य आरोपी बनाया गया था। एनआईए की विशेष अदालत ने जून 2016 में आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। लेकिन यह मामला पूरी तरह से संदेह के घेरे में सदा रहा।
2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद जब नयी जांच टीम बनायी गयी उसके बाद कांग्रेस की साजिशें बेनकाब होती चली जा रही हैं और तत्कालीन गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे की हिंदू आतंकवाद की थ्योरी भी नाकाम होती जा रही है। हालांकि अदालत में अभी मामला चल रहा है और लगभग सभी आरोपी जमानत पर बाहर हैं। सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और स्वामी असीमानंद अपने साक्षात्कारों और लेखों के माध्यम से मालेगांव बम धमाके में हिरासत में रखे जाने के बाद उन पर जो अत्याचार किये गये थे उसका दर्द बयान कर चुके हैं।
इस प्रकरण में गवाह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम भी लिया है, तो उप्र के राजनैतिक गलियारे में भी यह मामला पूरे जोर-शोर से उठ रहा है। सभी विरोधी दलों को गवाह का यह बयान बाहर आने के बाद मिर्ची लग गयी है और कह रहे हैं कि आगामी चुनावों के पहले इस प्रकार का बयान बाहर आना यूपी में योगी जी को लाभ पहुंचाने के लिये किया जा रहा एक प्रयास है। सेकुलर ताकतों का कहना है कि भाजपा इस बयान से राजनैतिक बढ़त प्राप्त करने के प्रयास कर रही है। एआईएएम के विधायक मुफ्ती मोहम्मद इस्माइल-ए-खलीफ ने गवाह के दावे को सच्चाई से परे और राजनीति से प्रेरित बताया है। खलीक ने कहा कि पांच राज्यों के आगामी आगामी चुनावों के मददेनजर और 14 वर्षों के बाद इस गवाह को समाने लाया गया है। गवाह का यह दावा कि उसे योगी आदित्यनाथ और संघ के अन्य सदस्यों का झूठा नाम लेने के लिए मजबूर किया गया था राजनीति से प्रेरित नजर आता है।
इस मामले की मुख्य आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर जी ने अपने कई साक्षात्कार व लेखों के माध्यम से मालेगांव धमाकों को साजिश व जांच एजेंसियों के कारनामों को उजागर किया जो काफी सनसनीखेज भी रहे हैं। वह बताती रही है कि किस प्रकार से तत्कालीन सरकार की जांच एजेसिंयो ने उन्हें हिरासत में रखने के दौरान प्रताडित किया था। इसी प्रकार स्वामी असीमानंद जी को भी फंसाने का काम किया जाता रहा लेकिन अब असीमानंद जी सभी आरोपों से बरी भी हो चुके हैं। अब जब गवाह ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का नाम लिया है कि, ”इस धमाके मेें उनका नाम लेने का दबाव डाला जा रहा था“ का भाजपा को कितना राजनैतिक लाभ आगामी चुनावों में मिलेगा यह तो आने वाला समय ही बतायेगा।
— मृत्युंजय दीक्षित