लघुकथा

लघुकथा हिसाब

“मालिक मेरा हिसाब कर दो”, सर्वेश के नौकर किशन ने कहा।

सर्वेश चौंक गया, “क्यों, क्या हुआ?”

“घर जाना है। मां बीमार है।” किशन ने कहा।

सर्वेश समझ गया कि वह बहाना बना रहा है, “ठीक है, कितने दिन के लिए जाना चाहते हो?”

किशन ने तपाक से कहा, “हमेशा के लिए। मुझे अब यहां काम नहीं करना।”

“कहीं और काम मिल गया क्या?” सर्वेश समझ गया था कि किसी के बहकावे में आकर वह ऐसा कर रहा था। वह यह भी जानता था कि वे लोग कौन हैं और ऐसा क्यों कर रहे हैं, परंतु उसकी असली चिंता किशन के भविष्य को लेकर थी। किशन जितना मेहनती और ईमानदार लड़का था, उतना ही सीधा और सरल स्वभाव का भी था। उसके जैसा नौकर आज के समय में मिलना बहुत मुश्किल होता है। इसमें उसे कोई शक नहीं था कि  उसके जाने से उसे बहुत नुकसान होने वाला था, परंतु उसे वह नुकसान किशन के नुकसान के आगे कुछ नहीं लग रहा था, क्योंकि वह गलत हाथों में जाने वाला था।

सर्वेश ठंडी आह भरकर बोला, “ठीक है किशन, यदि तुम कहते हो तो मैं तुम्हारा हिसाब कर देता हूं। यह लो तुम्हारी एक महीने की पगार।”

किशन ने रुपए पकड़े और जाने को हुआ, तभी सर्वेश ने कहा, “रुको, अभी पूरा हिसाब नहीं हुआ है।” फिर उसने एक डायरी निकाली, उसमें से कुछ देखा, एक चैक बुक निकाली और एक बड़ी सी रकम उसमें भर कर किशन को पकड़ाते हुए बोला, “यह लो तुम्हारे भविष्य के लिए जोड़े गए पैसे भविष्य निधि के तौर पर। मेरे पास जो भी काम करता है, मैं उसके लिए अपनी तरफ से अलग से पैसे जमा करता हूं। परंतु हां, देता उन्हीं को हूं जो पूरी ईमानदारी और मेहनत से काम करते हैं। तुम्हारे पिताजी भी इस कसौटी पर खरे उतरे थे, तो उनको भी दिए थे, जिससे उन्होंने गांव में अपना मकान बना लिया था और तुम्हारी बहन की शादी भी उन्हीं पैसों से की थी। और यह मैंने उन पर कोई एहसान नहीं किया था। चूंकि मेरी तरक्की में उनका भी हाथ था, इस लिहाज से मेरा नैतिक फर्ज बनता था कि मैं उनको भी कुछ हिस्सा दूं, जो मैंने दिया। मैं तुमसे भी यही उम्मीद कर रहा था। परंतु शायद तुम किसी की बातों में आकर मुझे या यहां के माहौल को समझ नहीं पाए। खैर, यह चैक तुम्हारे पिताजी के नाम पर है, क्योंकि उन्होंने ही तुम्हें मेरे पास रखवाया था। दो दिन पहले ही तुम्हारे पिताजी से मेरी बात भी हुई थी और मैंने कुशल-क्षेम भी पूछा था। मुझे पता है कि तुम्हारी मां बीमार नहीं है।”

किशन चैक पकड़े मूर्ति सा बना खड़ा हुआ था।

— विजय कुमार

विजय कुमार

पिता ः श्री रतनलाल माता ः श्रीमती पार्वती देवी जन्म ः 30-03-1974 शिक्षा ः ऑनर्स इन हिन्दी (प्रभाकर), कहानी-लेखन महाविद्यालय, अम्बाला छावनी से लेखन व पत्रकारिता के कोर्स। लेखन ः देश की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं एवं ई-पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएं प्रकाशित। विधाएं ः लघुकथा, सम-सामयिक लेख व अन्य संपादन ः 1. शुभ तारिका (मासिक), सह-संपादक 2. हर वर्ष पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी, शिलांग, मेघालय से प्रकाशित होने वाली पत्रिका ‘पूर्वोत्तर वार्ता’ स्मारिका का प्रबन्ध संपादक विशेष ः विकिपीडिया पर वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियन द ग्रेट खली दलीप सिंह राणा पर एक लेख ‘महाबली खली ने मचाई खलबली’ सहभागिता ः हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग के 65वें अधिवेशन : विश्वभारती, शान्तिनिकेतन पश्चिम बंगाल, दि. 16-18 मार्च 2013 को सक्रिय रूप से भाग लिया। सम्मान ः हिमालय और हिन्दुस्तान फाउण्डेशन, ़ऋषिकेश, उत्तराखण्ड द्वारा पत्रकारिता एवं लेखन में उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मान 2010 पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी, शिलांग, मेघालय द्वारा ‘केशरदेव गिनियादेवी बजाज स्मृति सम्मान-2013’, ‘श्री जीवनराम मुंगी देवी गोयनका स्मृति सम्मान-2015’, ‘अनूप बजाज युवा लेखक सम्मान-2018’, ‘प्रोग्रेसिव फाउंडेशन’ की ओर से स्मृति चिह्न, भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ, उ.प्र. की जिला सहारनपुर इकाई द्वारा आयोजित जिला सम्मेलन एवं संगोष्ठी के अवसर पर सम्मान 2014 सखी साहित्य परिवार, गुवाहाटी, असम की ओर से साहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए सम्मान भारतीय लघुकथा विकास मंच, पानीपत, हरियाणा द्वारा माधवराव सप्रे की जयंती के अवसर पर ‘लघुकथा दिवस रत्न सम्मान-2020’, वरिष्ठ लघु कथाकार उर्मिला कौल की स्मृति में लघुकथा उत्सव के अवसर पर ‘उर्मिला कौल स्मृति लघुकथा रत्न सम्मान-2020’, हिन्दी साहित्य प्रेरक संस्था, जींद, हरियाणा, संस्कार भारती, जींद, हरियाणा द्वारा ‘हिन्दी दिवस’ 14 सितम्बर 2020 के अवसर पर ‘लघुकथा लेखन एवं वाचन प्रतियोगिता’ में लघुकथा वाचन हेतु ‘प्रतिभागी प्रमाण पत्र’ प्रसारण ः आकाशवाणी, शिलांग, मेघालय से रचनाएं प्रसारित। विशेष ः पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा तीसरी कक्षा पाठ्यक्रम हेतु लघुकथाएं स्वीकश्त। अनुवाद ः विभिन्न लघुकथाओं का अंग्रेजी, मराठी एवं बंगला में अनुवाद। सम्प्रति ः सह-संपादक ‘शुभतारिका’ ;मासिकद्ध, प्रबन्धक ‘कहानी-लेखन महाविद्यालय’, अम्बाला छावनी अभिरुचियां ः पर्यटन, फोटोग्राफी, मित्रता, अध्ययन-मनन, क्रिकेट, नेक कार्यों में रुचि। संपर्क ः 103-सी, अशोक नगर, अम्बाला छावनी-133001, हरियाणा मोबाइल : 9813130512, ई-मेल : [email protected]