किसानों का हित केवल योगी सरकार में ही हुआ
प्रदेश में ठंड के साथ ही अब चुनावी सरगर्मियां भी तेज गति से बढ़ रही हैं। राजनीति में कृषि व किसानों से संबधित मुद्दे हर बार चर्चा में रहते हैं लेकिन इस बार वातावरण कुछ अलग है। तीन कृषि कानूनों को लेकर चलाया गया आंदोलन और कानूनों की वापसी के बाद सभी राजनैतिक दल किसान संगठनों का समर्थन हासिल करने के लिए जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं। भाजपा विरोधी दलों का अनुमान है कि भले ही कृषि कानूनों की वापसी हो गयी हो या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने किसानों की सभी मांगें मान ली हों, फिर भी पश्चिमी उप्र में किसानों की नाराजगी कम नहीं हो रही है, लेकिन अभी तक विभिन्न टीवी चैनलों के सर्वे में पश्चिमी उप्र में बीजेपी को ही आगे दिखाया जा रहा है।
कृषि कानून विरोधी आंदोलन से उपजे असंतोष को अपने पक्ष में करने के लिए समाजवादी नेता अखिलेश यादव ने भाजपा को हराने के लिए अन्न संकल्प लिया है और इस अवसर पर किसानों से बहुत सारे वादे भी किये हैं, जो केवल झूठ पर आधारित हैं। सपा नेता अखिलेश यादव ने सभी फसलों के लिए एमएसपी देने सहित गन्ना किसानों को 15 दिनों में भुगतान किसानों के लिए ब्याज मुक्त कर्ज, बीमा एवं पेंशन की भी व्यवस्था करने के अलावा किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर लगे मुकदमे समाप्त करने का ऐलान भी किया।
सपा नेता के बयानों से लग रहा है कि वह पूरी तरह से हताश है और अब उनके पास किसानों के लिए कुछ करने को खास नहीं बचा है। कारण है कि किसानों के सबसे बड़े राजनैतिक संगठन भारतीय किसान यूनियन ने सबसे पहले सपा -रालोद गठबंधन को समर्थन देने का ऐलान किया लेकिन जब बाद में भाजपा के बड़े नेता व सांसद संजीव बालियान किसान नेता नरेश टिकैत के घर पहुंच गये तब तक नरेश टिकैत अपने पूर्व के बयानों से पल्ला झाड़ चुके थे। यहां पर सर्वविदित तथ्य यह है कि आज जो राकेश टिकैत किसानों के सबसे बडे नेता बनकर उभर रहे हैं वह पूर्व में भी भाजपा का खुला समर्थन करते रहे हैं। लेकिन अब परिस्थितियां बदली हुई हैं। इस बार टिकैत परिवार खुल कर तो किसी के साथ नहीं जा रहा लेकिन वह परोक्ष रूप से ही किसी न किस को जितायेगा। समाजवादी नेता भले ही भाजपा को हराने के लिए अन्न संकल्प का सहारा लिया हो वह झूठ का पुलिंदा ही है क्योंकि किसानों के हित में सबसे अधिक काम योगी सरकार में ही हुए है।
जब से 2014 में केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व भाजपा सरकार बनी है और फिर उसके बाद उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 में योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनी उसके बाद डबल इंजन की सरकार में किसानो की आय को दोगुना करने व उन्हें सम्मान देने के लिए लगातार काम किया जा रहा है। प्रदेश में कृषि विकास व किसानों के हित में लगातार काम किया जा रहा है।
प्रदेश की योगी सरकार ने विधानसभा चुनावों के ऐलान के ठीक पहले किसानों को एक बड़ी राहत और खुशखबरी देते हुए सिंचाई के लिए बिजली की दर आधी कर दी है। सिंचाई के लिए निजी नलकूप की वर्तमान बिजली दर में सरकार ने 50 प्रतिशत की कटौती करने का निर्णय लिया है। योगी सरकार ने इस कदम के माध्यम से किसानों को बड़ा उपहार दिया है। इससे राज्य के 13 लाख किसानों को सीधा लाभ होगा। उनका सिंचाई का खर्चा आधा हो जायेगा। बिजली की दरों में कटौती करने के लिए सरकार को लगभग एक हजार करोड़ रूपये उप्र पावर कारपोरेशन लिमिटेड को अनुदान देना पड़ेगा। देश के दूसरे कई राज्यों मे जहां सिचाई के लिए किसानों को मुफ्त बिजली मिल रही है वहीं प्रदेश में किसानो के निजी नलकूप की दर दो रूपये से छह रूपये यूनिट तक है।
योगी सरकार ने चुनाव से पहले ही किसानों के नलकूप की बिजली दर को 50 प्रतिशत कम करने का बड़ा दांव चला। जब से प्रदेश में योगी सरकार बनी है तब से किसानों के हित व उनके सम्मान के लिए तथा कृषि विकास के लिए ऐतिहासिक कदम उठाये गये हैं। 2017 में योगी सरकार बनने के बाद किसानों की आय दोगुना करने के प्रयासों में भी और तेजी आयी है। विगत साढे चार वर्षां में प्रदेश में कृषि उत्पादन और किसानों से अनाज खरीद का रिकार्ड बना है। साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी लगभग दोगुनी बढ़ोत्तरी की गयी है।
2017 में प्रदेश भाजपा ने किसानों के लिए जो संकल्प लिया था वह साढ़े चार वर्ष में पूरा हो चूका है। प्रदेश में भाजपा सरकार बनते ही 86 लाख किसानों के 36 हजार करोड़ रूपये के ऋणमोचन से शुरू हुआ सिलसिला प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और फसल बीमा योजना से लेकर रिकार्ड कृषि उत्पादन व प्रदेश में सबसे ज्यादा अनाज खरीद तक जारी है। खेती को तकनीक के साथ जोड़कर किसानों की आय दोगुनी की गई। योगी सरकार ने 45.74 लाख गन्ना किसानों को एक लाख 40 लाख करोड़ रूपये का भुगतान किया गया है। यह बसपा सरकार से दोगुना और सपा सरकार के कार्यकाल में किये गये गन्ना भुगतान के मुकाबले डेढ़ गुना अधिक है। 3.77 लाख हेक्टेयर से अधिक सिंचाई क्षमता में वृद्धि की गई। निराश्र्रित गौवंश के लिए आश्रय स्थल खोले गये हैं। गौवंश पालकों को प्रति गौवश्ां प्रति माह 900 रूपये प्रतिमाह की सहायता दी जा रही है। आज प्रदेश में एमएसपी पर रिकार्ड खरीद की जा रही है। बीस नये कृषि विज्ञान केंद्र खोले गये। मंडी शुल्क में एक प्रतिशत की कमी की गयी।
प्रदेश में कृषि उत्पादन जो 2014 -15 में 389.28 लाख मीट्रिक टन था वह 2020- 21 बझकर 624.19 लाख मीट्रिक टन हो गया है। कोरोना महामारी व लाकडाउन जैसी अति विषम परिस्थितियों के बीच किसानों व प्रदेश की यह सफलता स्वर्णिम है। 2021 से प्रदेश कोरोना महामारी की विपदा को झेल रहा था और फिर उसके बाद तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की विपरीत परिस्थितियों के बाद भी हमारे अन्नदाता किसानों ने अन्न और सब्जियां आमजन को सुनिश्चित कराई हैं। विगत साढे चार वर्षो में उप्र ने खाद्यान्न उत्पादन में भी नया रिकार्ड बनाया है। प्रदेश में अब तक 137891 करोड रूपये मूल्य का गन्ना भुगतान कराया जा चुका है सबसे बड़ी बात यह है कि 2019- 20 में संचालित सभी चीनी मिलों शत- प्रतिशत गन्ना मूल्य भुगतान हो चुका है। कोरोना महामारी के काल में भी 119 चीनी मिलों का संचालन किया गया जो अभूतपूर्व है। वहीं 91 चीनी मिलों को लाकडाउन में सेनिटाइजर बनाने का लाइसेंस दिया गया। गन्ना मिलों द्वारा 1500 करोड़ की बिजली का सफलतापूर्वक उत्पादन किया गया है। गन्ना और चीनी उत्पादन में प्रदेश को पहला स्थान मिला है। पिपराइच, गोरखपुर में 5000 टीसीडी क्षमता की नई चीनी मिल शुरू हो चुकी है। एक समय वह भी था जब प्रदेश में चीनी मिलों को बेचा जा रहा था जिसमें बसपा सरकार कार्यकाल एक काले कार्यकाल के रूप में याद किया जायेगा। जब बहिन मायावती के कार्यकाल में 11 चीनी मिलों का बेचने का सौदा हुआ और उसमें घोटाला हो गया था।
प्रदेश में 2017 में योगी सरकार का गठन होने के बाद साढ़े चार वर्षो में किसान हितैषी व कृषि विकास को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाये गये। राज्य सरकार ने नयी- नयी योजनाओं के द्वारा किसानां को लाभान्वित किया। सरकार की ओर से हर स्रोत तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था की गयी। हर खेत तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था की गयी। हर खेत को उपजाऊ व स्वस्थ बनाने के लिए मृदा परीक्षण अभियान तेज गति से चलाया गया जिसका परिणाम दिखलायी पड़ रहा है। उत्पादकता बढ़ाने के लिए किसानों को अच्छी किस्म के बीज एवं खाद उपलब्ध करायी गयी। मिलियन फार्मर्स स्कूल पहल के माध्यम से किसानों को बेहतर तकनीक का प्रशिक्षण दिया गया।
सरकार के प्रयासों का ही नतीजा है कि खाद्यान्न उत्पादन जैसे गेंहू , गन्ना, आलू उत्पादन में प्रदेश नंबर वन हो गया है। प्रदेश की योगी सरकार का हर बजट गांव, गरीब और किसान को ही समर्पित रहा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने हर घर को नल, हर खेत तक पानी, हर घर को बिजली, हर गांव को सड़क, हर गांव को डिजिटल बनाने के साथ ही हर हाथ को काम देने का हरसंभव और सफल प्रयास किया है।
प्रदेश सरकार ने किसानों को बीज, पानी एवं उर्वरक समय पर प्रदान किया जिसका असर यह हुआ कि उत्तर प्रदेश गेहूं उत्पादन में नंबर वन हो गया है।यूपी में आलू का रिकार्ड उत्पादन हुआ। यूपी देश का सबसे बड़ा आलू उत्पादक राज्य है। यहां देश के कुल उत्पादन का 35 प्रतिशत आलू पैदा होता है। करीब 61 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में आलू बोया जाता है जिसमें विगत वर्ष 147.77 लाख टन आलू का उत्पादन हुआ। अब यूपी में आलू की खेती किसानों के लिए पूरी तरह लाभ का सौदा होने लग गयी है। चार वर्षों में यूपी दुग्ध उत्पादन में भी नंबर वन हो गया है। प्रदेश में दूध का उत्पादन अब यह बढ़कर 318.630 लाख मीट्रिक टन पहुंच गया है। प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने ग्रीन फील्ड डेयरियों की स्थापना करने की शुरूआत की है। ये डेयरियां कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, मेरठ, बरेली, कन्नौज, गोरखपुर, फिरोजाबाद, अयोध्या और मुरादाबाद में लगायी जा रही हैं। सरकारी मेहनत की बदौलत डेयरी उद्योग भी फल – फूल रहा है। दूध के कारोबार को यूपी में अलग पहचान मिली है। अब गांवों में पहले की संख्या में अधिक लोग गोवंश पालकर दूध को बेचने का काम कर रहे हैं। डेयरी मिलों को प्रोत्साहन दिये जाने से राज्य में रोजगार के नये अवसर प्रदान किये हैं। आज दुग्ध उत्पादन में भी यूपी नंबर वन है और इससे प्रभावित होकर ही 8 कंपनियों ने 172 करोड़ का निवेश किया है।
खरीफ फसलों की बोआई के समय डीएपी उर्वरक की कीमतें अंतराष्ट्रीय बाजार में बढ़ने के कारण प्रति बोरी मूल्य 2400 रूपये हो गया था। केंद्र द्वारा 500 रूपये प्रति बोरी अनुदान प्रति बोरी से बढ़ाकर 1200 रूपये कर दिया गया इससे किसानो को पूर्व की भांति 1200 रूपये प्रति बोरी की दर पर पर्याप्त मात्रा में डीएपी उपलब्ध हुई। दानेदार यूरिया के स्थान पर इफ्को द्वारा विकसित नैनो तरल यूरिया कृषकों को उपयोग के लिए प्रचार किया जा रहा है।जैविक खेती को बढावा देने के उददेश्य से वर्तमान सरकार द्वारा परम्परागत कृषि विकास योजना के अन्तर्गत 36 जनपदों में 585 क्लस्टर के 11,700 हेक्टेयर क्षे़त्रफल में जैविक खेती कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आत्मनिर्भर किसान एकीकृत विकास योजना की शुरूआत की है। 722.85 करोड़ रूपये की योजना से किसान उत्पादक संगठनों से जुड़े 27 लाख से अधिक किसानों की उनकी आय में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। योगी सरकार में मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना योजना को विस्तार दिया गया है। पहले इसमें केवल सिर्फ किसान को ही लाभ मिलता था लेकिन अब किसी तरह की दुर्घटना होने पर किसान परिवार के कमाऊ सदस्य ओ बटाईदार को भी शामिल किया गया है।
— मृत्युंजय दीक्षित