ग़ज़ल
जीवन में कुछ करना सीखो
रोना सीखो हँसना सीखो
चारों तरफ खुशियाँ बिखरी हैं
खुशियों के संग रहना सीखो
टुकड़े टुकड़े गम हैं आते
जहर गमों का चखना सीखो
जख्म हैं गहरे इंसानो के
दर्द सभी का हरना सीखो
पड़े जरुरत जब सीमा पर
देश के खातिर मरना सीखो
उपर वाला सब देख रहा है
बुरे काम से डरना सीखो
बड़ी कठिन लड़ाई जीवन की
संभल के खालिद चलना सीखो।
— खालिद हुसैन सिद्दीकी