दूध और रोटी
पालन पोषण के लिए जगत में,
दो चीजें अनमोल हैं होती।
शैशव काल में दुग्धपान और,
शेष उम्र दो वक्त की रोटी।।
सारी पीड़ा सहकर जब भी,
माता संतान को जाती है।
भूख शिशु की सबसे पहले,
दूध से अपने मिटाती है।।
रोटी की भी महिमा भारी,
इसको पाने सब कष्ट सहे।
खून जलाकर मेहनत करते,
तभी मिले जब स्वेद बहे।।
दूध का प्रभाव है इतना,
जब भी कभी दुश्मन ललकारे।
छठी का दूध याद दिलाकर,
वीर सदा स्वाभिमान निखारे।।
सहज सुलभ होती गर रोटी,
सुननी न पड़ती खरी या खोटी।
न होती हिंसा इस जग में,
नहीं काटते अपनों की बोटी।।
दूध सदा से ही गुणकारी,
मां का हो या भैंस-गाय का।
रोटी की संख्या है बताती,
समृद्धि आपकी, स्रोत आय का।।
— तुषार शर्मा “नादान”