तुम ही मेरे गीत हो
तुम मेरे गीत हो,
मैं तुम्हारा स्वर हूँ।
मेरे जीवन का तुमने अर्थ दिया
अब तक मैं बिना अर्थ का था।
मेरे जीवन में कितना कोलाहल था
अब उर में कलरव तेरी पायल।
तुम चंचल सी तितली हो प्रिय
फूलों की डाली पर मंडराती हो।
मेरे जीवन में मधुरस घोल दिया है
इस जीवन को अनमोल कर दिया।
यह जीवन शिथिल संकोच से भरा था
तुमने इसे नव जीवन दिया प्रियसी
तुम हो फूलों की बगिया सी
मैं बगिया का माली हूँ।
— कालिका प्रसाद सेमवाल