कवितापद्य साहित्य

उठो पंख फैलाओ

उठो पंख फैलाओ,

बन के नभ के तारे।

चमको ऐसे जग में,

बन के चांद सितारे।।

भू पर होये भोजन,

शयन चांद पर होये।

ओज  होय  मन  में,

मुट्ठी  में  जग   होये।।

करिये जग में ऐसा काम,

हो होंठो  पर  तेरा  नाम।

मातृ भूमि का सिर ऊंचा,

करिये जग में ऐसा काम।।

अशर्फी लाल मिश्र ।

अशर्फी लाल मिश्र

शिक्षाविद,कवि ,लेखक एवं ब्लॉगर

One thought on “उठो पंख फैलाओ

  • अशर्फी लाल मिश्र

    जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।

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