उठो पंख फैलाओ
उठो पंख फैलाओ,
बन के नभ के तारे।
चमको ऐसे जग में,
बन के चांद सितारे।।
भू पर होये भोजन,
शयन चांद पर होये।
ओज होय मन में,
मुट्ठी में जग होये।।
करिये जग में ऐसा काम,
हो होंठो पर तेरा नाम।
मातृ भूमि का सिर ऊंचा,
करिये जग में ऐसा काम।।
—अशर्फी लाल मिश्र ।
जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।