नमन करते हम हे शारदे माँ।
भक्ति हमारी स्वीकार ले माँ।
हम अबोध संतान तुम्हारी,
ज्ञान हमे देकर उपहार दे माँ।
जग के अँधेरों में गुम न जाएँ,
सत् की राह पर चलते जाएँ,
आशा -विश्वास मन में बसाएँ,
संकल्पों का दीपक जलाएँ ।
सारे साथ मिल -जुल रहें ,
बिछड़े हुआ को परिवार दे माँ।
भक्ति हमारी स्वीकार लें माँ।
दया-दृष्टि जो हम पर होती।
गुणों की बिखर जाए ज्योति।
तुम्हारी कृपा का बरसे मोती।
यश मिले ,जीत सदा पास होती।
किसी का अपमान भूले से न हो,
अच्छे सभी संस्कार भर दे माँ।
भक्ति हमारी स्वीकार ले माँ।
कमल ,हंस पर विराजित।
श्वेत वस्त्र होता सुशोभित ।
कर में पुस्तक वीणा धरती ।
भक्त जनों के कष्ट को हरती ।
हरदम तुम्हारी शरण में रहूं,
इस तरह उपकार कर दे माँ।
भक्ति हमारी स्वीकार ले माँ।
यदि साथ में अंहकार झलके।
प्रतिभा मूल्य हीन हो इंसा के।
विन्रमता में ही बडप्पन बसे,
प्रशंसा मिले तो आगे निकले।
अपनी शिक्षा का सदुपयोग हो
बुद्धि को इतना विस्तार दे माँ।
भक्ति हमारी स्वीकार ले माँ।
— डॉ. अमृता शुक्ला