कविता

पैरों में लगी महावर आज

बसंत भी आ धमका,

दल  बल  के   साथ।

सुरभित  पवन    भी ,

दे रहा उसका साथ।।

अवनि आज पीत बसना,

मुदित हो रही साथ साथ ।

टेसू   उत्सुक  दिखें आज,

केसरिया झंडा लिए हाथ।।

घर  घर   में  उत्सव  दूना,

बन  रहीं   रंगोली  आज।

युवतियां दिखें पीत बसना,

पैरों में लगी महावर आज।।

–अशर्फी लाल मिश्र 

अशर्फी लाल मिश्र

शिक्षाविद,कवि ,लेखक एवं ब्लॉगर

One thought on “पैरों में लगी महावर आज

  • अशर्फी लाल मिश्र

    बसंत ऋतु का जीवंत वर्णन।

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