बसंत तुम कहाँ हो
हे बसंत तुम कहां
कलियों की पुकार सुनो
भ्रमर का भ्रमण हुआ
तितलियों का अवतरण हुआ
हे बसंत तुम कहां हो
सरसों हे फूली
पलाश भी फूलने को है तैयार
आम्र बौर भी निकलने को बेताब हैं
हे बसंत तुम कहां हो
कलियों ने पट खोले
फूलों ने घूंघट उठाया है
बाग का माली भी मुस्काया
हे बसंत तुम कहां हो
छन छन के धूप खिली
रोशन हुई कायनात
पंछियों ने पंखों को फैलाया
हे बसंत तुम कहां हो
उन्मुक्त पवन बह रही है
सखी से सखी मिल रही है
कोयला राग सुना रही है
हे बसंत तुम कहां हो
— अर्विना