मुक्तक
गरीबी पर किसी की तुम ,कभी परिहास मत करना।
किसी मजबूर, बेबस का, कभी उपहास मत करना।
मिले यदि ‘शिव’ दुःखी कोई, कभी तो पोंछना आँसू-
किसी के कष्ट से उपजे, वो सुख आभास मत करना।।
— शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’
गरीबी पर किसी की तुम ,कभी परिहास मत करना।
किसी मजबूर, बेबस का, कभी उपहास मत करना।
मिले यदि ‘शिव’ दुःखी कोई, कभी तो पोंछना आँसू-
किसी के कष्ट से उपजे, वो सुख आभास मत करना।।
— शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’