सनम तुम हो तो मै हूँ,
तुम से है वजूद मेरा।
तुम हो भोर की किरण,
तुम्ही हो रोशन सबेरा।
तुम्ही हो सरमाया ए हयात,
जीवन की पतवार तुम।
तुम्ही से जुडी सारी आशाये,
मेरे प्यार का आधार तुम।
तुम दिल की हो धडकन
तुम से है वजूद मेरा।
मिले थे अजनबी बन के,
वो रिश्ते गहरे हो गए।
दिल की जमीं पे फूल खिले,
ख्वाब सुनहरे हो गये।
मेरे ख्वाबों का दरपन
तुम से है वजूद मेरा।
न दायरे न बन्दिशे रहे,
हम तुम बस एक हो जाए।
के भुला दे अहले जहाँ को,
हम एक दूजे में खो जाए।
तुम्ही साँस तुम्ही जीवन
तुम से है वजूद मेरा।
— ओमप्रकाश बिन्जवे “राजसागर”