कविता

खाली नहीं बैठती लड़कियां

खाली नहीं बैठती लड़कियां

बाप ,दादा -दादी
चाचा -ताऊ, भाई-भतीजे
छोटे-बड़े के साथ ही
अतिथियों तक को
पीढ़ा-पानी परोसती हैं लड़कियां…

खाली नहीं बैठतीं लड़कियां…

लड़कियां
कुएं से लाती हैं पानी
रखती हैं दाल का अदहन
पसाती हैं चावल से मांड़
निकियाती हैं आलू और
फोड़ती हैं लहसुन…

लड़कियां खाली नहीं बैठती …

लड़कियां पहुंचाती हैं खेत पर कलेवा
काटती हैं मेड़ों की घास और
अगहन में बांछती हैं बेंगा का धान

लड़कियां खाली नहीं बैठती …

ताई ,चाची और सहेलियों के घर
आती-जातीं रास्ते भर कुछ न कुछ बुनती रहती हैं
लड़कियां…

लड़कियां खाली नहीं बैठतीं …

तभी तो ;
उनके विदा होते समय
रिश्ते-नाते, घर-द्वार
पास-पड़ोस के साथ ही
रोती हैं गांव की सारी गलियां…

खाली नहीं बैठती लड़कियां…

— मोती प्रसाद साहू

मोती प्रसाद साहू

जन्म -1963 वाराणसी एक कविता संग्रह-पहचान क्या है प्रकाशित विभिन्न दैनिक पत्र-पत्रिकाओं ;ई0 पत्रिकाओं में रचनाओं का नियमित प्रकाशन संपर्क 9411703669 राजकीय इण्टर कालेज हवालबाग अल्मोड़ा उ0ख0 263636 ई0 मेल- [email protected]