भजन/भावगीत

भोले भंडारी

कैसी अदभुत छॅंटा निराली!
नंदी  पर   करते  असवारी !!

गले   लपेटे   विषधर  भारी!
कहलाते   हैं   वो   त्रिपुरारी !!

जो  भी  दिल  से तुझे पुकारे !
भव  सागर  से   उसे   उबारे !!

मन  कामना जो  पूर्ण   करें !
जय  जय  प्रभु  महादेव हरे !!

दीन दुःखी हम सब जन तेरे !
कब  से  द्वार   खड़े  हैं   तेरे !

सुंदरता  चहुँ  ओर  भरे  है !!
जय  शिवशंकर  हरे  हरे है !!

सबके   ह्रदय   में  बसते  हो !
सारे जग  के  दुःख  हरते हो !!

अद्भुत   शोभा   प्रभु  निहारूं!
दिल  से  तुझको  प्रभु पुकारूँ!

मेरी  संकट   को    दूर    करें !!
जय   जय  प्रभु  वैद्यनाथ  हरे !!

— मणि बेन द्विवेदी

मणि बेन द्विवेदी

सम्पादक साहित्यिक पत्रिका ''नये पल्लव'' एक सफल गृहणी, अवध विश्व विद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर एवं संगीत विशारद, बिहार की मूल निवासी। एक गृहणी की जिम्मेदारियों से सफलता पूर्वक निबटने के बाद एक वर्ष पूर्व अपनी काब्य यात्रा शुरू की । अपने जीवन के एहसास और अनुभूतियों को कागज़ पर सरल शब्दों में उतारना एवं गीतों की रचना, अपने सरल और विनम्र मूल स्वभाव से प्रभावित। ई मेल- [email protected]