मुक्तक/दोहा साधु अशर्फी लाल मिश्र 16/03/2022 कंचन कामिनि कीर्ति की, जिसमें इच्छा होय। भले ही वेश साधु का,फिर भी साधु न होय।। –अशर्फी लाल मिश्र