गीत/नवगीत

होली गीत

आओ सारे संगी साथी,
         आ जाओ हमजोली
एक दूजे को रंग लगाके
           खेलें प्यार से होली
रंग लगाएं ऐसे कि वो
           जीवन भर ना छूटे
ईर्ष्या, द्वेष, जलन, नफरत की
              कमर हमेशा टूटे
प्रेम बढ़ाएं जीवन में
             नफरत को मारे गोली
 एक दूजे को रंग लगाके
                 खेलें प्यार से होली
         आओ सारे संगी साथी ……!
रंग हरा समृद्धि का
         भगवा तो है बलिदानी
रंग ज्ञान का पीला है
           नीला है औघड़ दानी
शौर्य पराक्रम का प्रतीक है
                 लाल रंग है कहते
रंग श्वेत सुख शांति लाता
                 अमन चैन से रहते
सब रंगों के मेल से बनता
                    प्यारा इंद्रधनुष
सर्वधर्म समभाव को समझो
                  बनकर रहो मनुष्य
अलग अलग मजहब है
     लेकिन सबकी एक है बोली
एक दूजे को रंग लगाके
                खेलें प्यार से होली
            आओ सारे संगी साथी…..!
अलग अलग रंगों से बनती
                    है प्यारी तस्वीर
 फिर क्यों एक ही रंग को मानें
                हम अपनी तकदीर
हरा रंग जुम्मन का क्यूँ
             भगवा का ठेका मैं लूँ
ईश्वर ने गर कहीं है बाँटा
                  तो संज्ञान मैं ले लूँ
धर्म राह है जीने की
             तुम धर्म हेतु ना जीना
मकसद सदा हो जीने का
                 दूजों के आँसू पीना
प्रेम मार्ग पर बढ़ा है जो भी
                 दुनिया उसकी हो ली
एक दूजे को रंग लगाके
                      खेलें प्रेम से होली
          आओ सारे संगी साथी ……!
– राजकुमार कांदु

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।