सुख की ओर
दुःख सहकर सुख की ओर चलना होगा,
फूलों से अगर करनी है दोस्ती तो काॅंटों को सहना होगा ।
दर्द बढ़ता है तो बढ़ने दे, बस मुस्कराना होगा,
व्यथित हृदय उल्लास से भरना होगा ।
धीमे-धीमे गुजर जायेंगी काली गम भरी रातें,
नित कर्म पथ पर अडिग रहना होगा ।
झूठ, कपट, छल, धोखों का बाजार गरम,
सबसे बचना होगा, बच-बचकर चलना होगा ।
बेदर्द जमाना भारी, सहयोग नहीं सलाह देगा
नयनों से अश्रु पोंछ, सुन जग की मन का करना होगा ।
भीतर से मिटा दुर्गुण सारे आज – अभी
पुष्पों सा खिलना होगा, जग महकाना होगा ।
औरों की पीर मिटा, दीपक सा जलना होगा,
दुःख सहकर सुख की ओर चलना होगा ।
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा