छद्मधर्मनिरपेक्षता का विकृत चेहरा
विगत एक माह से देश के कई हिस्सों से आए समाचार और उन पर तथाकथित धर्मनिरपेक्ष नेताओं का रवैया बहुत ही खतरनाक संकेत दे रहा है। हिजाब विवाद से लेकर रामनवमी के जुलूसों व शोभायात्राओं पर पथराव तक हिन्दुओं के विरुद्ध हिंसा की घटनाओं का होना और उन पर सेकुलर दलों की रहस्यमयी चुप्पी देश के सामाजिक ताने बाने के लिए घातक है।
राजस्थान में देश की बहुसंख्यक आबादी के विरुद्ध की जा रही सुनियोजित हो रही हिंसा के बीज राजस्थान के कोटा जिले में उस समय ही बो दिये गये थे जब मुस्लिम तुष्टिकरण पर उतारू राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने कटटरपंथी इस्लामिक संगठन पीएफआई को स्थापाना दिवस पर रैली करने की अनुमति डी थी जिसमें पीएफआई के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर तीखे हमले बोलते हुए हिजाब से लेकर अजान और अयोध्या में बन रहे भव्य मंदिर से लेकर सीएए और एनआरसी तक के खिलाफ जहर उगला था । पीएफआई की उस रैली में संविधान की दुहाई देकर नफरत की भयंकर आग उगली गयी और हम लेकर रहेंगे आजादी के नारे लगाये गए, लेकिन किसी भी सेक्युलर ने पीएफआई की रैली को भारत की सुरक्षा के लिए खतरा नहीं बताया ।
फिर आया वर्ष प्रतिपदा यानि हिंदू नववर्ष का दिन, राजस्थान के ही करौली शहर में हिंदू समाज के लोग अपने नववर्ष पर शोभायात्रा निकाल रहे थे कि उन पर सुनियोजित साजिश के तहत हमला होता है तथा हिंसा और आगजनी में 45 से अधिक लोग बुरी तरह से घायल हो जाते हैं। यह हिन्दुओं के खिलाफ़ एक सुनियोजित हिंसा थीं। हिंसा के बाद तनाव का वातावरण बन गया और फिर उसके बाद प्रदेश के कुछ और जिलों से भी हिंसा की खबरें आने लगीं । मुसलमानों द्वारा पूरी तैय्यारी के साथ किये गए इस खूनी हमले के बाद वहां के मुख्यमंत्री अशोक गहलौत का जो बयान आया था वह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और हैरान करने वाला था जबकि अभी तक जो तथ्य प्राप्त हो रहे हैं उसमें इन हमलों की साजिश में कांग्रेस पार्षद का नाम ही सामने आ रहा है जो अभी तक फरार है। राजस्थान की कांग्रेस सरकार की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति के ही कारण वहां पर हिंदू जनमानस को प्रताड़ित किया जा रहा है। कभी भव्य राम दरबार को ढहा दिया जाता है और कभी हिन्दू बेटियों के साथ बर्बरता की घटनाएं प्रकाश में आ रही हैं। राजस्थान सरकार को यह नहीं समझ में आ रहा है कि आखिर प्रदेश की 80 प्रतिशत हिंदू जनसंख्या ने उसे भी अपना मत दिया है तो फिर उस पर अत्याचार क्यों और किसलिए तथा किसके इशारे पर किया जा रहा है?
अब बात करते हैं, रामनवमी के दिन देश के पांच राज्यों के नौ जिलों सहित दिल्ली स्थित जेएनयू में हुए कथित बवाल की। अभी तक जो रिपोर्टस प्राप्त हुई हैं उसके अनुसार देश के पांच राज्यों के नौ जिलों में रामनवमी की शोभायात्रा पर जानबूझकर पथराव किया गया और फिर उसके बाद सुनियोजित तरीके से हिंसा व आगजनी की घटनाओं को अंजाम दिया गया है। इन हिंसक वारदातों को भी करौली की घटना के तर्ज पर ही अंजाम दिया गया है। सबसे आश्चर्यजनक व हैरान करने वाली बात यह है कि हर बार की तरह एआईएएम नेता ओवैसी अपनी त्वरित टिप्पणी में भाजपा ,संघ व हिंदू समाज को ही दोषी करार दे रहे हैं अर्थात हमला करने वाले मुसलमान निर्दोष हैं और पीड़ित हिन्दू ही अपराधी हैं ।
रामनवमी के दिन गुजरात के हिम्मतनगर और खंभात में हिंसक झड़प हुयी । साबरकांठा के छपरिया इलाके में शोभायात्रा पर हमला बोला गया। मध्य प्रदेश के खरगौन और बड़वानी में शोभायात्रा पर पथराव के बाद जमकर हंगामा और आगजनी हुई। बारूद के ढेर पर बैठे बंगाल के दो जिलों में रामनवमी के जुलूस पर पथराव के बाद व्यापक हिंसा और आगजनी के समाचार प्राप्त हुए हैं।
झारखंड से भी उपद्रव होने का समाचार मिला हैं सबसे बड़ी बात यह है कि झारखंड की सरकार विधानसभा में मुसलमानों को नमाज़ के लिए कमरा आवंटित कर सकती है लेकिन जयश्रीराम के नारे से नफरत करती है और तथाकथित धर्मनिरपेक्षता का गमछा पहनकर रामनवमी के दिन शोभायात्रा की वापसी के समय तक राजधानी रांची में बिजली ही बंद कर देती है । यह कैसा सेसेकुलरिज्म है ? क्या केवल हिंदू समाज ने ही धर्मनिरपेक्षता को बचाकर रखने की जिममेदारी ले रखी है।
यह बात पूरी तरह से स्पष्ट है कि श्रीरामनवमी के दिन जो हिंसा हुई है उसमें मुस्लिम समुदाय के लोगों का ही हाथ था तथा सभी हमले सुनियोजित साजिश के साथ किये गए लेकिन इसके बाद भी देश के छद्म धर्मनिरपेक्ष दल इसमें घिनौनी बयानबाजी करके केवल और केवल मुस्लिम तुष्टिकरण का खतरनाक खेल खेल रहे हैं।
करौली में हिंसा के बाद पीएफआई का एक बयान आया था जिसमें कहा गया था कि मुस्लिम बहुल इलाकों व मस्जिद के सामने से हिंदुओं की शोभायात्रा को नहीं निकलने दिया जायेगा। रामनवमी के दिन हुई हिंसा में उस बयान की झलक और तैयारी दिखाई पड़ रही है। इसका क्या मतलब है, जिन इलाकों में उनकी संख्या बढ़ जाएगी वहां हिन्दुओं को रहने नहीं दिया जायेगा ?
जब अयोध्या विवाद का माननीय सुप्रीम कोर्ट ने पूरी तरह से समापन कर दिया तब भी देश के तथाकथित सेकुलर दलों, वामपंथियों व हम लेकर रहेंगें आजादी के नारे लगाने वाले लोगों को रामनवमी की शोभायात्रा पसंद नहीं आ रही है। रामनवमी की शोभायात्राओं पर हमले करने वाले वाले वहीं लोग हैं जो यह नहीं चाहते थे कि अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बन जाये। श्रीराम नवमी की शोभायात्रा पर हमला करने वाले वहीं लोग है जो कभी देश की सबसे बड़ी अदालत में ही भगवान श्राराम को काल्पनिक बता चुके हैं। यह वही लोग हैं जो कहा करते थे कि अयोध्या में शौचालय बनवा दो , अस्पताल बनवा दो। आज जब अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य राम मंदिर निर्माण तेजी से प्रगति के पथ पर अग्रसर है तब उस समय इन दलों को अपनी जमीन हिलती हुई नजर आ रही है और वे हिंसा पर उतर आए हैं ।
रामनवमी के ही दिन दिल्ली के वामपंथी गढ़ जेनयू में भी एक हरकत की गयी जहां वामपंथी ग्रुप और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्यों के बीच रामनवमी की पूजा और नानवेज खने को लेकर झड़प हो गई जिसमें एक छात्रा घायल हो गयी।
रामनवमी के दिन शोभायात्रा पर की गयी हिंसा हिंदू समाज को डराने व भयभीत करने के लिए की गयी है। रामायण में कथानक आते हैं कि जब ऋषि-मुनि समाज के कल्याण व शांति के लिए जंगलों में रहकर हवन आदि करते थे तो कुछ राक्षस दल वहां जाकर हवन सामग्री को अपवित्र करते थे और उसमें मांस आदि फेंककर ऋषि मुनियों के साथ मारपीट करते थे आज भी कुछ ऐसा ही हो रहा है, धर्मनिरपेक्ष आध्यात्मिक हिन्दू समाज का जीवन नर्क बनाने प्रयास कुछ म्लेच्छों द्वारा किया जा रहा है लेकिन वे भूल जाते हैं कि तब भगवान राम ने धरती को “निसिचर हीन” कर दिया था।
रामनवमी के दिन हुयी सुनियोजित हिंसा में कटटरपंथी संगठ पीएफआई का हाथ स्पष्ट दिखाई देरहा है। राजस्थान के करौली से लेकर बंगलौर हिंसा सहित देशभर में हिजाब विवाद में आग लगाने की सभी साजिशों में पीएफआई का ही हाथ सामने आ रहा है। गृह मंत्रालय को इसका संज्ञान लेते हुए पीएफआई को तत्काल प्रतिबंधित कर देना चाहिए और प्रकट और स्लीपर सेल्स देशद्रोह की धाराओं के तहत मुकदमा चलाना चाहिए। यहां पर एक बात और भी ध्यान देनें योग्य है कि अभी हिजाब विवाद जब ठंडा हो रहा था उसी समय अलकायदा चीफ अल जवाहिरी का एक बयान आ गया कि भारत के सभी मुसलमान हिजाब गर्ल मुस्कान का समर्थन करें, इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इन षड्यंत्रों की जड़ें कहाँ तक फैली हैं ।
— मृत्युंजय दीक्षित