दिल पर रंग
दिल पर रंग चढ़ा कर देखो,
गीत लबों पर ला कर देखो।
दुनियां दरी यूँ ही चलेगी ,
दिल अपना बहला कर देखो।
पशोपेस में उम्र गुज़री ,
दिल तो ज़रा लगा कर देखो।
मीत मिला जो मन का यारों ,
उस पर प्यार लुटा कर देखो।
मौसम इतना हँसी हो गया है,
पलकें ज़रा उठा कर देखो ।
कभी हो नग़मा कभी हो आँसू,
धड़कन आग बना कर देखो।
मंज़िल को पाना है रही ,
एक -एक क़दम बढ़ा कर देखो।
जाति वर्ग की जगह न कोई ,
हर दीवार हटा कर देखो ।
— आसिया फ़ारूक़ी