गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य

चरित्र दर्शन

चरित्र     देखना   है,

नशे     में      देखिये.

धन   का   नशा   हो,

तब    चरित्र   देखिये.

ओहदे का  नशा   हो,

बेनक़ाब चरित्र देखिये.

शराब   का  नशा   हो

असली  चरित्र  देखिये.

-अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र

शिक्षाविद,कवि ,लेखक एवं ब्लॉगर

One thought on “चरित्र दर्शन

  • अशर्फी लाल मिश्र

    जब व्यक्ति नशे में होता है तब उसकी भाषा बिगड़ जाती है.

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