त्रिदिवसीय वर्धा साहित्य महोत्सव
वर्धा, 28 अप्रैल, 2022 : महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में अमृतलाल नागर सृजनपीठ की ओर से 26- 28 अप्रैल को आयोजित वर्धा साहित्य महोत्सव के संपूर्ति सत्र की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि वर्धा साहित्य महोत्सव भारतीय साहित्य को आगे ले जाने की दिशा में नंदादीप का काम करेगा। संपूर्ति समारोह में गुजरात साहित्य अकादमी के अध्यक्ष पद्मश्री श्री विष्णु पण्ड्या, डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के कुलाधिपति प्रो. बलवंत शांतिलाल जानी तथा सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय, सांची की कुलपति प्रो. नीरजा गुप्ता, जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र के निदेशक श्री आशुतोष भटनागर तथा प्रभात प्रकाशन के प्रभात कुमार मंचासीन रहे। वहीं हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला के कुलाधिपति पद्मश्री प्रो. हरमहेंद्र सिंह बेदी ने ऑनलाइन संबोधित करते हुए इस महोत्सव को भारतीयता का पर्याय और इसकी प्रासंगिकता को वैश्विक महत्व प्रतीक बताया। पद्मश्री प्रो. हरमहेंद्र सिंह बेदी ने कहा कि महानायकों पर केंद्रित यह महोत्सव भारतीय साहित्य को एशिया के देशों में ले जाने में मिल का पत्थर साबित होगा।
साहित्य में समाज के महानायक पर केंद्रित महोत्सव का समापन गुरुवार को विश्वविद्यालय के कस्तूरबा सभागार में देशभर से आए साहित्यकार तथा विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं शोधार्थियों की उपस्थिति में किया गया। समारोह में आठ भाषाओं के उपन्यासों पर इक्कीस सत्रों में विमर्श किया गया। कुलपति प्रो. शुक्ल ने कहा कि इस महोत्सव का उद्देश्य युवा विद्यार्थियों में प्रेरणा और नव उत्कर्ष प्रदान करने का संकल्प बताया। उन्होंने कहा कि साहित्य व्यक्ति में करूणा का मानस बनाने का एक मात्र साधन है। उन्होंने विश्वास जताया कि महोत्सव के माध्यम से महानायकों के गौरव संगायन की चर्चा और गूंज दूर-दूर तक जाएगी। वर्धा की धरती से यह महोत्सव वर्द्धित होगा और वरद देने वाला भी साबित होगा।
संपूर्तिसत्र में साहित्य की संकल्पना और सफलता हेतु कुलपति प्रो. शुक्ल को बधाई देते हुए पद्मश्री श्री विष्णु पण्ड्या ने कहा कि उपन्यासों में महानायकों पर चर्चा अति विशिष्ट है। उन्होंने कहा कि देश की सांस्कृतिक चेतन जाग उठी है। उसका सवंर्धन करना है। हमें विद्या, भाषा और साहित्य की वर्तमान स्थिति पर संयुक्त रूप से सोचने की जरूरत है, यह महोत्सव इसका निदर्शक है। इस क्रम में प्रो. बलवंत जानी ने कहा कि यह महोत्सव भारतीयता की झलक और संस्कृति का परिचायक है। आशुतोष भटनागर ने महोत्सव को भारतीय साहित्य का सम्मेलन करार देते हुए इसका आयोजन नियमित रूप से होने का विश्वास जताया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सद्य प्रकाशनों की प्रतियाँ प्रभात प्रकाशन के मुख्य प्रबंधक श्री प्रभात कुमार ने कुलपति प्रो. शुक्ल को समर्पित की।
संगोष्ठी की रिपोर्ट वर्धा साहित्य महोत्सव के संयोजक प्रो. कृष्ण कुमार सिंह ने प्रस्तुत की। विश्वविद्यालय के कुलसचिव कादर नवाज़ ख़ान ने आभार ज्ञापित किया। इस अवसर पर साहित्यकार, अध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।