गीतिका/ग़ज़ल

हमने तो ये सीखा है।

कभी किसी को ग़लत न बोलें, हमने तो ये सीखा है…
सोंच समझकर बात करेंगे, हमनें तो ये सीखा है।

कभी किसी की आंखों में, आँसू न आने देंगे हम…
रोने वाले को है हँसाना, हमने तो ये सीखा है।

अपनी ख़ातिर जो भी जीता, वो तो पशु समान है…
किसी के काम ये आए जीवन हमने तो ये सीखा है।

ईर्ष्या नहीं किसी से करना, बुरा किसी का सोंचे न…
हाथ मदद को सदा बढ़ेंगे, हमने तो ये सीखा है।

समय गवाओं कभी नही तुम, इसका यूँ उपयोग करो…
वक़्त के रहते आगे बढ़ना हमने तो ये सीखा है।

अच्छे-अच्छे कर्म है करना, जीवन इसी का नाम है…
दिलों में सबके याद बनें हम, हमने तो ये सीखा है।

— आसिया फ़ारुकी

*आसिया फ़ारूक़ी

राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षिका, प्रधानाध्यापिका, पी एस अस्ती, फतेहपुर उ.प्र