ग़ज़ल
ऊला पड़ा मिला कहीं सानी पड़ा मिला।
ग़ज़लों में कुछ अरूज़ पर पानी पड़ा मिला।।
उपमाओं से बलात कहीं कीमियागिरि
शब्दों का गहरे गर्त में मानी पड़ा मिला ।।
मंदिर में जिसके नाम के पत्थर लगे हुए
इक मयकदे के द्वार पर दानी पड़ा मिला।।
जो धर्म पर समाज पर करता था तब्सिरा
कोठे पे शाहनाज़ के ज्ञानी पड़ा मिला।।
संख्याओं के गुणांक में माहिर हैं जालसाज
धन-ऋण के गोलमाल में हानी पड़ा मिला।।
अरूज़ – व्याकरण
कीमियागिरि- चीड़ फाड़
तब्सिरा – व्याख्या