इंदौर से मनावर 127 किमी की दूरी पर मनावर जिला धार के अंतर्गत मनावर से 25 किमी की दरी पर स्थित गांगली गांव स्थित है ये कालांतर में गंगा से गांगली हो गया | ये नर्मदा के तट पर स्थित है | यहाँ पवित्र कुंड विधमान है| जिसमे निरंतर गंगा का जल प्रवाहित होता रहता है | इस जल की पुष्टि गंगा नदी के जल से की गई जिसको हूबहू जल का होना पाया गया | ये जल बहकर नर्मदा के जल में मध्य में इसे सातमात्रा के नाम से भी पुकारा जाने लगा यहाँ माँ गंगा और नर्मदा का मिलन होता है | माँ गंगा और माँ नर्मदा के मिलन का पावन स्थल :गंगा कुंड (गांगली ) | भौगोलिक सत्य देखिए कि सचमुच नर्मदा भारतीय प्रायद्वीप की दो प्रमुख नदियों गंगा और गोदावरी से विपरीत दिशा में बहती है यानी पूर्व से पश्चिम की ओर।नर्मदा जनमानस में कई रूपों में प्रचलित है लेकिन चीर कुवारी नर्मदा का सात्विक सौन्दर्य, चारित्रिक तेज और भावनात्मक उफान नर्मदा परिक्रमा के दौरान हर संवेदनशील मन महसूस करता है। कहने को वह नदी रूप में है लेकिन चाहे-अनचाहे भक्त-गण उनका मानवीकरण कर ही लेते है। पौराणिक कथा और यथार्थ के भौगोलिक सत्य का सुंदर सम्मिलन उनकी इस भावना को बल प्रदान करता है और वे कह उठते हैं नमामि देव|
नर्मदेमत्स्यपुराण में नर्मदा की महिमा इस तरह वर्णित है -‘कनखल क्षेत्र में गंगा पवित्र है और कुरुक्षेत्र में सरस्वती। परन्तु गांव हो चाहे वन, नर्मदा सर्वत्र पवित्र है। यमुना का जल एक सप्ताह में, सरस्वती का तीन दिन में, गंगाजल उसी दिन और नर्मदा का जल उसी क्षण पवित्र कर देता है।’ एक अन्य प्राचीन ग्रन्थ में सप्त सरिताओं का गुणगान इस तरह है।
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदा सिन्धु कावेरी जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु।।
यहाँ शिवलिंग भी है जो नंदिकेश्वर के नाम से जाना जाता है | प्राचीन स्थान का पुराण (स्कंध पुराण के रेवाखंड और शिव पुराण) में लेख है | पंडित प्रदीप जी मिश्रा ने होशंगाबाद जिले के सेमरी हरचंद गाँव में कथा वाचन के दौरान मनावर का के नाम का उल्लेख किया था |यहाँ दशमी को भव्य मेला भी लगता है | गंगा दशहरे पर भारी भीड़ रहती है | ये स्थल सरदार सरोवर के डूब क्षेत्र में आने से जब पानी नहीं रहता तब दर्शन श्रद्धालुओं के लिए सुलभ होते है | यहाँ देश के सभी प्रांतो से गूगल मेप के जरिये स्थान खोज कर दर्शन का लाभ लेते है | यहाँ पहुंचने के दो रास्ते है | एक सिंघाना गणपुर होकर एवं एक मनावर से पक्का डामर एवं सीमेंट रोड से सेमल्दा रोड़ पर वायल, पचखेड़ा होकर करोली फाटा आता है | वहाँ पर क्रांतिकारी टंटिया मामा की प्रतिमा से करोली फाटा से पिपलाज,के आगे से ग्राम से टर्न होकर मात्र २ किमी की दूरी पर गांगली (साततलाई )में गंगा कुंड निर्मित है| कुंड में ऊपर से जाली लगी है ताकि कोई उसमे ना गिरे | कुंड में दूसरी और स्नान हेतु पेढ़िया बनी हुई है | ग्राम का नाम साततलाई में सात तलाई है जिसमे से दो तलाई में पानी भरा हुआ है | उसके समीप प्राचीन शिव मंदिर है | और उसी क्षेत्र में जागोद, बागोद दो शिव मंदिर है।जहाँ शुद्ध घी का भंडारा डेढ़ वर्ष तक चला था।दर्शनीय स्थल में माँ गंगा का माँ नर्मदा के जल में विलय होने का स्नान एवं दर्शन लाभ अवश्य लेना चाहिए |उल्लेखनीय है की नर्मदा नदी के तट पर नदी के उद्गम से लेकर सागर में समाहित होने तक कई शिव मंदिर बने हुए हुए |
— संजय वर्मा “दॄष्टि “