लक्ष्य
तम भरी रातों में
जब कुछ न दिखाई दे ।
हृदय में एक ज्योति जलाओ
करके ईश्वर पर विश्वास
आगे बढ़ जाओ ।
अंतरतम में उजियाला होगा
लक्ष्य सधेगा, मंजिल मिलेगी ।
विघ्न सारे मिटेंगे
बुझी हुईं बातीं
दीप बन जल उठेंगी ।
अधूरा यज्ञ होगा पूर्ण
आहुतियां होंगी सार्थक ।
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा