स्वास्थ्य

अपने रक्तचाप को नज़रअंदाज़ न करे, नियंत्रित रखे और स्वस्थ रहे!

अक्सर जब कोई मरीज किसी भी बीमारी के लिए मर्डिकल चिकित्सक के पास आता है तो चिकित्सक उससे उससे उसकी बिमारी के विषय में कई सवाल करता है और उसका फिर बारीकी से उसका शारीरिक प्रशिक्षण करता है । अगर उसकी बिमारी के विषय में कुछ और जानना हो तो उसके खून, यूरिन आदि का टेस्ट किया जाता है। एक अच्छा चिकित्सक लगभग हर मरीज के रक्तचाप की भी जांच करता है। आम तौर पर रक्तचाप सामान्य के आस पास 120 /80 होना चाहिए पर पिछले कुछ दशकों में बहुत से लोगो में उच्च रक्तचाप पाया जाने लगा है।

विश्व स्वस्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में उच्च रक्तचाप एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है जिससे हमारे हृदय, मस्तिष्क, गुर्दे और अन्य बीमारियों के जोखिम को काफी बढ़ा देती है। एक अनुमान के अनुसार दुनिया भर में 30-79 वर्ष की आयु के अनुमानित 1.28 बिलियन वयस्कों को उच्च रक्तचाप है, जिनमें से अधिकांश (दो-तिहाई) निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं। इनमे अनुमानित 46% वयस्क इस बात से अनजान हैं कि उनकी स्थिति है। उच्च रक्तचाप वाले समस्त मरीजों में आधे से भी कम वयस्कों (42%) का सफल उपचार होता है।

आईसीएमआर की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में हर चौथे व्यस्क को उच्च रक्तचाप है।

निचिंत ही यह आंकड़े चौकाने वाले है।

मैंने ऐसे बहुत से मरीज देखे है जो हैरान रह जाते है की उनका ब्लड प्रेशर सामनाये से अधिक है।

ऐसे मरीज अक्सर कहते है, ‘” पर डॉक्टर मुझे तो कोई तकलीफ नहीं। ”

मेरे एक पडोसी है जो हर तरह से स्वस्थ नज़र आते है। चुस्त दरुस्त, रोज़ सैर करते है, कोई चिंता नहीं और हमेशा खुश रहते है। जब भी मिलते गरम जोशी से मिलते। उनसे पूछता, कैसे हो तो कहते , ” सब चंगा जी डॉक्टर साहिब। वाहे गुरु जी दा शुक्र है। ” एक दिन पता चला की उनका सीने में तेज़ दर्द उठा, हॉस्पिटल ले जाया गया जहाँ उनका इमरजेंसी में एंजियोग्राफी हुई और फिर हृदय की बाईपास सर्जरी।

जब उनका हाल चाल पूछने के लिए गया तो एक कमज़ोर मुस्कान के साथ उसने कहा, ” क्या बोलू डॉक्टर साहिब, यु तो बिलकुल ठीक ठाक था, हाँ कभी कभी ब्लड प्रेशर बढ़ जाता तो दवाई खा लेता था। वैसे कोई तकलीफ ही नहीं थी ”

यहाँ यह बात गौर करने की है, की वह तभी दवाई खाते जब ब्लड प्रेशर बढ़ जाता, यानी जब चेक करवाते। क्या पता उनका हर वक़्त ब्लड प्रेशर बड़ा हुआ रहता हो पर उनको पता न हो क्यूंकि उनको कोई लक्षण ही न हो ?

तभी तो इस बिमारी को साइलेंट किलर के नाम से जाना जाता है। उच्च रक्तचाप वाले अधिकांश लोग समस्या से अनजान होते हैं क्योंकि इसमें कोई चेतावनी संकेत या लक्षण नहीं होते हैं। इस कारण से, यह आवश्यक है कि रक्तचाप नियमित रूप से मापा जाए।

मुझसे अक्सर मरीज पूछते है की उनका ब्लड प्रेशर क्यों अधिक है तब मैं उन्हें समझाता की उच्च रक्तचाप का पारिवारिक इतिहास, 65 वर्ष से अधिक आयु और मधुमेह या गुर्दे की बीमारी के कारण हो सकता है। हमारी अस्वथ जीवन शैली जैसे अस्वास्थ्यकर आहार (अत्यधिक नमक का सेवन, संतृप्त वसा और ट्रांस वसा वाला आहार, फलों और सब्जियों का कम सेवन), शारीरिक निष्क्रियता, तंबाकू और शराब का सेवन और अधिक वजन या मोटापा और हर वक़्त भाग दौड़ की ज़िन्दगी यानी स्ट्रेस इसके लिए दोषी है।

विभिन्न अध्ययनो और सर्वेक्षणों में यह बात सामने आई है की पिछले कुछ दशकों में गावों में पक्की सड़के बनने, शुद्ध पानी की सप्लाई, सीवेरज प्रणाली के होने, गांव गांव में सेहत सुविधाएं उपप्ध, लोगो के शिक्षित स्तर में बढ़ोतरी और जागरूक होने के कारण, उनमे संचारी रोग में कमी तो आई है वही आधुनिक बिजली और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, खेतो में हल की जगह ट्रेक्टर, वाहनों तथा अन्य सुविधाओं के चलते गांव वासी ज्यादा आराम परस्त और काम चोर हो गए है जिससे उनमे में गैर संचारी रोग पाए जाने लगे है ।

अगर आप को सुबह-सुबह सिरदर्द, नाक से खून बहना, अनियमित हृदय ताल, दृष्टि परिवर्तन और कानों में भनभनाहट, थकान, मतली, उल्टी, भ्रम, चिंता, सीने में दर्द और मांसपेशियों में कंपन, अनिद्रा, अधिक स्ट्रेस के कारण हर वक़्त सोचते रहते है तो हो सकता है आप को उच्च रक्तचाप हो। और अगर आप को भी उच्च रक्तचाप है तो आज ही अपनी जीवन शैली में बदलाव लाएं, नियमित ब्लड प्रेशर की जांच कराते रहे।

विश्व उच्च रक्तचाप दिवस हर वर्ष को 17 मई को मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है -अपने रक्तचाप को सटीक रूप से मापें, इसे नियंत्रित करें, लंबे समय तक जीवित रहें!

यही हमारे स्वस्थ्य रहने का राज़ है।

-डॉक्टर अश्वनी कुमार मल्होत्रा

डॉ. अश्वनी कुमार मल्होत्रा

मेरी आयु 66 वर्ष है । मैंने 1980 में रांची यूनीवर्सिटी से एमबीबीएस किया। एक साल की नौकरी के बाद मैंने कुछ निजी अस्पतालों में इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर के रूप में काम किया। 1983 में मैंने पंजाब सिविल मेडिकल सर्विसेज में बतौर मेडिकल ऑफिसर ज्वाइन किया और 2012 में सीनियर मेडिकल ऑफिसर के पद से रिटायर हुआ। रिटायरमेंट के बाद मैनें लुधियाना के ओसवाल अस्पताल में और बाद में एक वृद्धाश्रम में काम किया। मैं विभिन्न प्रकाशनों के लिए अंग्रेजी और हिंदी में लेख लिख रहा हूं, जैसे द इंडियन एक्सप्रेस, द हिंदुस्तान टाइम्स, डेली पोस्ट, टाइम्स ऑफ इंडिया, वॉवन'स एरा ,अलाइव और दैनिक जागरण। मेरे अन्य शौक हैं पढ़ना, संगीत, पर्यटन और डाक टिकट तथा सिक्के और नोटों का संग्रह । अब मैं एक सेवानिवृत्त जीवन जी रहा हूं और लुधियाना में अपनी पत्नी के साथ रह रहा हूं। हमारी दो बेटियों की शादी हो चुकी है।