पद
गंजरहा! मृण्मय यह संसार !
मृण्मय तन ,मृण्मय चीजों पर व्यर्थ करे अधिकार !
तेरे बाद सिर्फ होंगे बस अच्छे बुरे विचार !
इधर उधर मत भटक, पकड़ ले राम नाम आधार!
माया नदी ,भक्ति है नैया , ज्ञान प्रबल पतवार ।
एक लक्ष्य रख जन्म मृत्यु के बंधन से उद्धार !
जाग नींद से भोले मानव, सपना है संसार !
—————–डॉ. दिवाकर ‘ गंजरहा ‘